रेलवे की ओर से अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला दिया। बताया कि जब यशवंती ने आवेदन दिया, तो वह पति के साथ रह रही थी। उसके पति की बाद में मृत्यु हुई है, ऐसे में वह पिता के आश्रित कैसे हुई। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने इस तर्क को उचित माना। निर्धारित किया गया कि आवेदक यशवंती को अपने पति के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार है परंतु पिता के स्थान पर नहीं।
इसके बाद केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण, कैट के न्यायिक सदस्य रमेश सिंह ठाकुर की एकलपीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि कोई भी संतान केवल तभी कर्मचारी की अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र मानी जाएगी जबकि वह कर्मचारी की मृत्यु के समय उस पर आश्रित हो।कैट ने रेलवे के 7 अगस्त 2015 के आदेश को सही ठहराया है, जिसमें आवेदिका के अनुकंपा नियुक्ति के दावे को निरस्त कर दिया गया था।