भोपाल/जबलपुर।
विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ पांच दिन बचे है। राजनैतिक दलों पूरे जोर शोर से प्रचार-प्रसार में जुट गए है।एक तरफ कांग्रेस जो सत्ता वापसी के लिए हाथ पैर मार रही है वही दूसरी तरफ भाजपा जो चौथी बार सरकार बनाने के लिए संघर्षरत है। ऐसे में शिवराज सरकार से नाराज चल रहे कंप्यूटर बाबा ने चुनाव से फिर मुख्यमंत्री और भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने का काम कर रहे है। संत समागम में मन की बात के बाद बाबाजी आज नर्मदे संसद करने जा रहे है।उन्होंने दावा की है कि इसमें 11 हजार से ज्यादा साधु-संत सम्मिलित होंगें। वही बाबा के इस कदम के बाद भाजपा में हड़कंप की स्थिति है। सरकार अब तक बाबाजी को मानने में कामयाब नही हो पाई है।
जबलपुर में आय़ोजित होने वाली इस नर्मदे संसद में खास मुद्दा नर्मदा का रहेगा।यह नर्मदा तट के ग्वारीघाट पर रखी गई है। बाबा आज सुबह नर्मदा का जल लेकर कलश यात्रा पर निकले और फिर परिवर्तन यज्ञ किया। इस यज्ञ में यहां आए हज़ारों संतों ने आहूति दी। इसमें बाबाजी संतों के साथ मिलकर सरकार को घेरने की रणनीति बनाएंगे और प्रदेश की राजनीति पर मंथन किया जाएगा।इसके लिए हज़ारों साधु संत जबलपुर पहुंचे हैं। दावा है कि 11 हज़ार से ज़यादा साधु इसमें शामिल होने आए हैं। खबर है कि अवैध खनन, माफियाओं और नर्मदा क्षरण को लेकर भी सरकार को घेरा जा सकता है।इस धर्म संसद में वो मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा प्रदेश में किए गए भ्रष्टाचार की पोल खोलेंगे। नर्मदे धर्म संसद में संत समाज मन की बात करेगा।
गौरतलब है कि कम्प्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है। वह मध्य प्रदेश में संतों की संस्था षट्दर्शन साधु मंडल के प्रमुख हैं।सूबे की शिवराज नीत बीजेपी सरकार ने कम्प्यूटर बाबा समेत पांच धार्मिक नेताओं को अप्रैल में राज्य मंत्री का दर्जा दिया था, लेकिन कम्प्यूटर बाबा ने कुछ दिन पहले यह आरोप लगाते हुए इस दर्जे से इस्तीफा दे दिया था कि शिवराज सरकार ने खासकर नर्मदा को स्वच्छ रखने और इस नदी से अवैध रेत खनन पर रोक लगाने के मामले में संत समुदाय से ‘वादाखिलाफी’ की है। तब से वो लगातार शिवराज सरकार के ख़िलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। कम्प्यूटर बाबा सरकार से नर्मदा मंत्रालय बनाने की मांग कर रहे हैं बीते दिनों ही उन्होंने मन की बात के ज़रिए सरकार के खिलाफ अभियान शुरू किया था। 23 अक्टूबर को इंदौर, 30 अक्टूबर को ग्वालियर में उन्होंने मन की बात के ज़रिए संत समागम किया और फिर 4 नवंबर को खंडवा, 11 नवंबर को रीवा में संतों के साथ मंथन किया था।