कोरोना के खौफ ने ली एक और जान, 70 साल के बुजुर्ग ने की आत्महत्या

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। जिले में कोरोना से पीड़ित मरीजों के आत्महत्या करने का सिलसिला लगातार जारी है, अभी हाल ही में कुछ दिनों पहले एक कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग ने मेडिकल कॉलेज की तीसरी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी वही आज एक एक बार फिर कोरोना पॉजिटिव 70 वर्षीय बुजुर्ग ने अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

बुजुर्ग ने 17 सितंबर को करवाया था टेस्ट 20 तारीख को आई थी रिपोर्ट पॉजिटिव

जानकारी के मुताबिक मृतक बुजुर्ग गढ़ा थाना के मदन महल प्रेम नगर पोस्ट ऑफिस के पास रहता था, बुजुर्ग के कोरोना संबंधित लक्षण सामने आ रहे थे, जिसके बाद उन्होंने 17 सितंबर को अपना सैंपल दिया था और 20 तारीख को फिर उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी, रिपोर्ट आने के बाद से ही बुजुर्ग तनाव ग्रसित हो गए थे और आखिरकार आज उन्होंने अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

सूचना के बाद पुलिस प्रशासन का दल पहुंचा मौके पर

गढ़ा थाना पुलिस को जैसे ही सूचना मिली की प्रेम मंदिर के पास रहने वाले कोरोना पॉजिटिव एक बुजुर्ग जो कि बीते कुछ दिनों से होम क्वारेटाईन था उसने अपने घर पर ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है तो थाना प्रभारी गढ़ा और एसडीएम गोरखपुर मौके पर पहुंचे।

मोक्ष संस्था करेगी कोरोना पॉजिटिव का अंतिम संस्कार

अभी तक 100 से ज्यादा मृत संदिग्ध और कोरोना पॉजिटिव लोगों का अंतिम संस्कार कर चुकी मोक्ष संस्था भी मौके पर पहुँची और विधि विधान से चौहानी श्मशान घाट में बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया गया इस दौरान उनके परिवार जन साहिद नगर निगम और प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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