जबलपुर। एक तरफ जहां निर्वाचन आयोग हर व्यक्ति को मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है। बड़े बड़े बैनर पोस्टर के माध्यम से बताया जा रहा है वोट हर किसी को करना उसका नैतिक दायित्व है पर कुछ लोग ऐसे हैं जो कि अपने वोट का इस्तेमाल अच्छी सरकार बनाने के लिए करना चाहते है पर चाह कर भी वो अपना वोट नहीं कर सकते क्योंकि इसकी वजह है कि जिस दिन वोटिंग होगी वो अपने मतदान केन्द्र से दूर होंगे।
हम बात कर रहे है मतदानकर्मी और पुलिसकर्मी को लेकर जाने वाले बसों के चालकों और परिचालकों की। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जबलपुर से संभाग भर के लिए करीब 1200 बसों का अधिग्रहण होना है ऐसे में 1200 बसों के साथ रहने वाले करीब 2400 चालक और परिचालक चाह कर भी अपने मत का उपयोग नहीं कर पाएंगे क्योकि मतदान वाले दिन वो अपने मतदान केन्द्र से बहुत दूर रहेंगे। आज कुछ चालक-परिचालकों ने अपना वोट डालने के लिए बस मालिक से छुट्टी मांगी पर मालिक ने ये कहकर छुट्टी देने से मना कर दिया कि उन्हें मतदान कराने के लिए बसों को लेकर जाना है। जिस वजह से छुट्टी नही मिल सकती।
बस चालक मनीष कुमार की माने तो आज तक उसने कभी वोट नहीं किया है बीते 4 पंचवर्षीय चुनाव से उसने वोट नहीं दिया है, क्योंकि हर बार जब चुनाव होता है तो वो बस के साथ चुनाव कराने कही बाहर होता है।यही हाल परिचालक चंदन का है जो कि चाहता है कि वो भी अपने मत का उपयोग कर एक अच्छे नेता को चुने जो कि अच्छी तरह से जनता की सेवा करे पर ड्यूटी के चलते वो वोट करने नही जा सकता क्योकि उसे भी मनीष की तरह वोटिंग वाले दिन बाहर होना पड़ेगा। इधर बस संचालक की माने तो निर्वाचन आयोग के निर्देश पर हमारी बसों का अधिग्रहण किया जाता है और बसों को बाहर ले जाने के लिए चालक परिचालक का जाना जरूरी रहता है लिहाजा चाह कर भी हम मतदान करने के लिए अपने ड्राइवर-कंडक्टर को छुट्टी नही दे सकते।