जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर के बेलबाग थाना पुलिस ने गांजा तस्करी (Hemp smuggling) के आरोप में एक युवक को गिरफ्तार किया, नियम अनुसार 24 घंटे के भीतर आरोपी को कोर्ट में पेश करना था लेकिन बेलबाग पुलिस ने ऐसा नहीं किया।लिहाजा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट(MP HighCourt) ने इस पूरे मामले को आड़े हाथों लिया और जबलपुर के बेलबाग थाना प्रभारी अरविंद चौबे सहित अन्य के खिलाफ सीबीआई (CBI) जांच के निर्देश दिए हैं।
जबलपुर के खटीक मोहल्ला में रहने वाले याचिकाकर्ता शुभम सोनकर की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अकबर हुसैन ने न्यायालय के सामने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि बेलबाग पुलिस की यह मनमानी कतई भी सही नहीं है, जिस तरह से याचिकाकर्ता शुभम को 27 जुलाई को घर से पुलिस ने गिरफ्तार किया और फिर 24 घंटे तक अदालत में पेश नहीं किया, यह संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला हुआ जैसा है।
बेलबाग पुलिस पर लगे कई तरह के गंभीर आरोप
याचिकाकर्ता शुभम सोनकर की बहन ने अपने भाई को गिरफ्तार किए जाने के बाद न्यायालय के सामने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए, उनका आरोप है कि पुलिस ने दबाव में साजिश के तहत उसके बेगुनाह भाई को गांजा तस्करी का आरोपी बनाया जबकि उसका गांजा तस्करी से कोई भी लेना देना नहीं है,लिहाजा इसके लिए बेलबाग थाना प्रभारी अरविंद चौबे, एसआई मोहम्मद समीर, पीएसआई राम सुहावन, आरक्षक सत्येंद्र यादव सहित कई और की भूमिका संदिग्ध है जिसकी जांच होनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया सीबीआई जांच का
इस पूरे केस में खास बात यह है कि याचिकाकर्ता व उसके अधिवक्ताओं ने सीबीआई जांच की मांग पर किसी भी तरह का बल नहीं दिया इसके बाद भी हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए इस मामले में सीबीआई जांच की आवश्यकता को माना। हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रकरण नागरिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के हनन से संबंधित पाया गया है, लिहाजा स्थानीय पुलिस अपनी ही पुलिस के खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती और यह है याचिकाकर्ता के साथ बेईमानी साबित होगी इसलिए सीबीआई जांच के निर्देश इस पूरे केस में जांच के लिए किए जाते हैं।