जंगलों की कटाई मामला: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से तलब की कंप्लायंस रिपोर्ट, 1 अप्रैल को अगली सुनवाई

Atul Saxena
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Jabalpur News : मध्य प्रदेश में हो रही जंगलों की कटाई के मामले में लार्जर बेंच ने 6 दिन पहले सुनवाई करते हुए  तल्ख़ टिप्पणी की थी कि जैसे पुष्पा फिल्म में तस्कर, विधायक और अधिकारी सिंडिकेट चलाते हैं, ठीक उसी तरह की स्थिति मध्यप्रदेश में भी बनी हुई है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली लार्जर बेंच ने 53 तरह के पेड़ों की कटाई को अनुमति देने वाले सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था और डिवीजन बेंच कथित कर दी थी ।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली लार्जर बेंच ने आदेश का पालन करवाने के लिए जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच गठित की जो अब इस मामले की सुनवाई कर रही है। आज सोमवार को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने के लिए सरकार की तीन सप्ताह का समय दिया है।

हाई कोर्ट ने सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया  

प्रदेश के जंगलों में लगातार हो रही कटाई को लेकर हाई कोर्ट ने 24 सितंबर 2019 को जारी सरकार का वो नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है, जिसमें सरकार ने 53 तरह के पेड़ों की कटाई और उनकी लकड़ियों के परिवहन को सरकारी अनुमति से छूट दे दी थी।  इंदौर निवासी विवेक कुमार शर्मा सहित कई लोगों ने 2019 में इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने मामले पर 9 जनवरी 2025 को सुनवाई करते हुए फैसला रिजर्व रखा लिया था। अपने फैसले में कोर्ट ने 2019 में इंदौर के सीसीएफ द्वारा पीसीसीएफ को लिखे गए पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि 53 तरह के पेड़ों को कटाई की छूट देने से जंगलों में तेजी से कटाई हो रही है, जो वन भूमि को बंजर कर देगी।

3 सप्ताह में कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने के आदेश आगली सुनवाई 1 अप्रैल को 

हाई कोर्ट की लार्जर बेंच के आदेश पर जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच ने आदेश का पालन करवाने के लिए  राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि 3 सप्ताह में कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करे। मामले पर अगली सुनवाई अब 1 अप्रैल को होगी।

पुष्पा फिल्म का हवाला देकर लार्जर बेंच ने ये कहा था 

आपको बता दें कि चीफ जस्टिस की लार्जर बेंच ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि एमपी में पुष्पा फिल्म की तरह जंगल काटने वाला सिंडिकेट चल रहा है। आदेश में कोर्ट ने कहा था कि पुष्पा फिल्म में तस्करों और व्यापारियों का सिंडिकेट इतना दबदबा बनाने लगता है जिससे पुलिस, वन विभाग और विधायकों तक सरकार का कोई भी हिस्सा इससे अछूता नहीं रह पाता। ये दिखाता है कि कैसे अवैध लकड़ी का व्यापार करने वाले राक्षस-माफिया घने जंगलों में घुस सकते हैं और सरकारी मशीनरी से मिलीभगत करके जंगलों की संपदा को लूट सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कार्यपालिका भी ऐसे सिंडिकेट के आगे झुक जाती है, मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति है। सरकार जंगलों की ट्रस्टी और संरक्षक होती है। ऐसे में जंगलों की सुरक्षा करना उसकी जिम्मेदारी है।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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