जबलपुर, संदीप कुमार। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Jabalpur Highcourt) ने नर्मदा का हाई फ्लड लेवल को लेकर सख्त रवैया अख्तियार किया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने इसको निर्धारित करने की जिम्मेदारी प्रशासन को सौंपी है और सभी कलेक्टरों से नर्मदा किनारे के 300 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी है।इसमें यह बताना होगा कि 2013 के पहले के निर्माण और उसके बाद कौन से नए निर्माण किए गए हैं। इसके लिए 4 हफ्तों का समय दिया गया है।अगली सुनवाई नवंबर 2021 में होगी।
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दरअसल, इस संबंध में याचिका जबलपुर निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा द्वारा 2013 में हाई कोर्ट में दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि राजस्व निरीक्षकों व पटवारियों के सांठगांठ से नर्मदा नदी के बेसिन में बने अवैध निर्माणों व अतिक्रमणों को बचाया जा रहा है और जमीनों को निजी व्यक्तियों के नामों पर शासकीय रिकार्ड में दर्ज किया जा रहा है,ऐसे में सभी राजस्व रिकार्ड की जांच कर अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों को तोड़े जाने के आदेश जारी होने चाहिए।इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने पूरे प्रदेश में नर्मदा किनारे हाई फ्लड लेवल निर्धारित करके अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
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इसके तहत नर्मदा से जुड़े सभी जिलो अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खंडवा, खरगौन और बड़वानी कलेक्टरों (Collectors) से नर्मदा किनारे 300 मीटर के दायरे में कितने अवैध निर्माण और अतिक्रमण हैं, की विस्तृत जानकारी मांगी गई है।हाईकोर्ट ने जल संग्रहण क्षेत्र से 300 मीटर के दायरे की बजाए बाढ़ आने की सूरत में जहां तक जल स्तर पहुंचता है, वहां से 300 मीटर का दायरा तय करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।