Jabalpur News : जबलपुर हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार से मांगा जवाब, ये है पूरा मामला

Pooja Khodani
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जबलपुर हाईकोर्ट

जबलपुर, संदीप कुमार। सड़क (Road) पर लोग क्यों सोने को मजबूर हैं। क्या शहर के रैन बसेरों की स्थिति ठीक नहीं है, आखिर सरकार गरीबों को रैन बसेरों में क्यों नहीं पहुंचा पा रही है। इन तमाम सवालों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur Highcourt)ने राज्य की शिवराज सरकार (Shivraj Government) से जवाब मांगा है।

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दरअसल, याचिकाकर्ता की ओर से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में पैरवी कर रहे वकील दिनेश उपाध्याय ने बदहाल रैन बसेरों की स्थिति कोर्ट के सामने रखी, दिनेश उपाध्याय का कहना है कि रैन बसेरों की स्थिति बहुत खराब है। इनमें यदि कोई गरीब पहुंचता है तो उसे रुकने में परेशानी होती है। रैन बसेरे के संचालक लोगों को रुकने नहीं देते।

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याचिकाकर्ता की ओर से इंदौर में बुजुर्गों के साथ होने वाली घटना का उदाहरण पेश किया गया। एडवोकेट (Advocate) का कहना है कि इंदौर में जिस तरीके से बुजुर्गों को गाड़ी में भर के सुनसान इलाके में छोड़ दिया गया था ऐसी स्थिति पूरे प्रदेश में है,सरकार को इस मामले में गंभीर कदम उठाने चाहिए।एक तरफ भारत देश अपने आपको विश्व गुरु बता रहा है तो वही दूसरी ओर अभी भी देश मे लाखों लोग सड़क पर सोने को मजबूर हैं, क्या यह लोग सरकार को नजर नहीं आते इसलिए आम आदमी को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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