पुलिस ने कसा सटोरियों पर शिकंजा,पकड़ा लाखों का सट्टा

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। देश में जैसे ही आईपीएल (IPL) शुरू होता है वैसे ही सट्टाबाजार (Speculative market) भी गर्म होने लगता है। हर गली मोहल्ले में भाव के नाम पर पैसा लगना शुरू हो जाता है। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश की जबलपुर (Jabalpur of madhya pradesh) संस्कारधानी (sanskardhani) के गढा थाना अंतर्गत सामने आया। जहां शारदा चौक के पास शिमला हिल्स में आईपीएल गेम (IPL Game) में हार जीत का तीन आरोपी दाव लगा रहे थे, तभी जबलपुर पुलिस (jabalpur police) को मुखबीर से सूचना मिली कि शिमला हिल्स के पास एक मकान में लाखों का आईपीएल सट्टेबाजी का खेल चल रहा है। तभी मुखवीर द्वारा बताए गए स्थान पर पुलिस द्वारा घेराबंदी तरीके से छापा मार करवाई की गई। आरोपियों के पास से मौके पर से तीन LED, दो इलेट्रोनिक सूटकेस (Electronic suitcase) और दर्जनों मोबाइल फोन (dozens of mobile phone) और लाखों के हिसाब किताब जब्त किए गए हैं। पुलिस के अनुसार ढाई से तीन लाख रुपए का सट्टा होने के अनुमान लगाया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि मकान मालिक सहित 2 आरोपी प्रिंस जैन हनुमानताल थाना अंतर्गत मुकेश सोनी हनुमानताल थाना अंतर्गत आते है, जो कि लंबे समय से आईपीएल सट्टे का कारोबार करते आ रहे हैं। पुलिस तीनों आरोपियों से कड़ाई से पूछताछ कर रही है। अनुमान है कि इन सटोरियों के पीछे कोई बड़ा गिरोह है। बता दें कि सटोरियों और ग्राहकों के बीच विश्वास इतना होता है कि यह लोग मौखिक तौर पर ही लाखों के सौदा करते थे। आरोपियों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक सूट से इन मोबाइल को ऑपरेट किया जाता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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