जबलपुर : वेगा होटल सील, प्रशासन की कार्रवाई, इसी में चल रहा था किडनी अस्पताल

जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। जबलपुर के वेगा होटल में चल रहे निजी अस्पताल का मामला सामने आने के बाद रविवार को मौके पर पहुंची प्रशासन की टीम ने होटल को सील कर दिया है, इस होटल में मरीजों को लाने के लिए बकायदा दलाल भी एक्टिव रहते थे। इन दलालों को प्रति मरीज 500 रुपए मिलते थे। भर्ती रहने के लिए एक मरीज को एक हजार रुपए प्रतिदिन दिया जाता था। इसके बाद इसका बिल सरकार से वसूला जाता था। इस पूरे मामलें में आयुष्मान योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, वही पूरे मामलें में डॉ अश्विनी पाठक एक बार फिर सुर्खियों में है, डॉ अश्विनी पाठक शहर के जाने माने किडनी स्पेशलिस्ट है लेकिन मरीजों के बेहतर इलाज से ज्यादा यह विवादों के चलते जाने जाते है, किडनी बेचने के आरोप हो या फिर जमीन में हेरा फेरी का मामला, डॉ अश्विनी पाठक ऐसे मामलों में जेल तक की हवा खा चुके है और  फिर एक बार इनसे जुड़े चौकानें वाले मामले का खुलासा हुआ। ।

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दरअसल डॉ अश्विनी पाठक सेंट्रल किडनी हॉस्पिटल के संचालक है, इन्होंने तीन साल पहले बेटे के लिए वेगा नाम से होटल बनवाया था। जब होटल नहीं चला, तो मरीज भर्ती करने लगा। इसके लिए उसने स्वास्थ्य विभाग से अनुमति भी नहीं ली। यहां आयुष्मान कार्ड धारकों को एक हजार रुपए रोजाना देकर भर्ती किया जाता था। इसके लिए बकायदा दलाल भी रखे थे। ICU वार्ड के नाम पर कमरे में सिर्फ ऑक्सीजन पाइप लगा रखे थे। सर्दी-जुकाम के मरीजों को भी पांच दिन तक भर्ती करते थे। इसी होटल में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम के छापे के बाद अहम खुलासे हुए है।

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गौरतलब है कि शुक्रवार शाम 7 बजे पुलिस ने राइट टाउन स्थित सेंट्रल किडनी हॉस्पिटल के पास मौजूद वेगा होटल में छापा मारा। पुलिस को सूचना मिली थी कि होटल में अस्पताल चलाया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों के साथ  आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डॉ. धीरज गावंडे पहुंचे। यहां तीन मंजिला होटल को बकायदा अस्पताल का रूप दिया गया था। छापे के दौरान करीब 30 से ज्यादा मरीज भर्ती मिले। सभी सामान्य बीमारियों के मरीज थे। बताया जा रहा है कि डॉ अश्विनी पाठक ने अपने बेटे के लिए अस्पताल के बाजू में ही होटल बनवाया था लेकिन कोरोना में काम न चलने की वजह से इन्होंने होटल को ही बिना अनुमति अस्पताल में तब्दील कर दिया। जबकी सुविधाओं के नाम पर यहाँ कुछ नहीं है।

होटल को अस्पताल में तब्दील करने के बाद अस्पताल में आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों को ही भर्ती किया जाता था। यहां तक कि सर्दी-जुकाम के मरीजों को भी चार-पांच दिन तक भर्ती कर लेते थे। इसके लिए मरीजों को एक हजार रुपए प्रतिदिन भी देते थे। एसपी का कहना है कि इसमें आयुष्मान कार्ड का दुरुपयोग किया जाता था। इसमें घोटाला होने की आशंका है। जांच की जा रही है। फिलहाल अब इस पूरे मामलें में जांच की जा रही है और संभावना है कि आयुष्मान योजना से जुड़ा बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।

 


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Harpreet Kaur

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