MP News : FIR रद्द कराने जीतू पटवारी पहुंचे हाई कोर्ट, न्यायालय ने इमरती देवी और शासन को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

चुनाव प्रचार के लिए  कुछ दिन पहले ग्वालियर पहुंचे जीतू पटवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि इमरती देवी में रस नहीं बचा है, कांग्रेस अध्यक्ष के इस बयान के बाद दलित नेता पूर्व मंत्री इमरती देवी ने डबरा थाने में जीतू पटवारी के बयान को लेकर एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज कराया था।

Jitu Patwari Imarti Devi

MP News : पूर्व मंत्री इमरती देवी द्वारा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ एफआईआर कराने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है, उसी एफआईआर को रद्द कराने की मांग को लेकर जीतू पटवारी ने हाई कोर्ट पहुंचे, मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और पूर्व मंत्री इमरती देवी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

मामले की अगली सुनवाई 2 जुलाई को, कोर्ट ने जीतू को ये राहत भी दी 

हाई कोर्ट ने इमरती देवी द्वारा दर्ज एफआईआर का अवलोकन करते हुए कहा है कि आखिर किस आधार जीतू पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, साथ ही कोर्ट ने जीतू पटवारी के तत्कालीन बयान की भी पुष्टि की जिसमें एससी एसटी एक्ट जैसी कोई भी बात सामने नहीं आई है, मामले की अगली सुनवाई 2 जुलाई को तय की है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जीतू पटवारी को यह राहत भी दी है कि, यदि इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई एफआईआर या गिरफ्तारी जैसी कोई बात आती है तो जीतू पटवारी तत्काल कोर्ट की शरण में आ सकते हैं।

इमरती देवी ने इसलिए दर्ज कराई है जीतू पटवारी के खिलाफ FIR

गौरतलब है चुनाव प्रचार के लिए  कुछ दिन पहले ग्वालियर पहुंचे जीतू पटवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि इमरती देवी में रस नहीं बचा है, कांग्रेस अध्यक्ष के इस बयान के बाद दलित नेता पूर्व मंत्री इमरती देवी ने डबरा थाने में जीतू पटवारी के बयान को लेकर एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज कराया था, इमरती देवी के कहा था ये महिला का अपमान है और इससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंची है।  कुछ दिन पूर्व इमरती देवी ने मीडिया से कहा कि वे जीतू पटवारी को जल्दी जेल में देखना चाहती है, मामले के तूल पकड़ने के बाद जीतू पटवारी इसी एफआईआर को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे हैं ।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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