One day seminar and awareness lecture in JNKVV : जवाहर लाल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में आज एक दिवसीय किसान संगोष्ठी और जागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में शामिल विशेषज्ञों के कहा कि पौधों की नई किस्म के विकास लिए लगातार नई रिसर्च होना जरूरी है। उसमें इस काम में निवेश को बढ़ावा देना भी जरूरी है। विशेषज्ञों ने कहा कि किसान पौधों की नई किस्म में रुचि लें, इसके लिए उनके अधिकारों की रक्षा करना भी जरूरी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पी.पी.व्ही.एफ.आर.ए., भारत सरकार नई दिल्ली के रजिस्ट्रार जनरल डॉ. दिनेश अग्रवाल थे। इस मौके पर विश्वविद्यालय की पी.पी.व्ही.एफ.आर.ए. परियोजना प्रमुख डॉ. स्तुति शर्मा, वैज्ञानिक, पौध प्रजनक एवं आनुवांशिकी विभाग की भी सराहना की गईं। जिन्होंने इस कार्य के संपादन में केंद्रीय भूमिका निभाई। इस एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन पौध प्रजनक एवं आनुवांशिकी विभाग ने ही किया। विश्वविद्यालय के डॉ. जी के कोतू, संचालक अनुसंधान सेवाएँ ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की।
किसानों की भूमिका की सराहना
संगोष्ठी में डॉ. दिनेश अग्रवाल ने कहा कि पूरे विश्व में नई किस्मों को पंजीकृत कराने की दिशा में भारत का द्वितीय स्थान पर है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अभी तक जनेकृविवि (JNKVV) के 24 फसलों के 500 से अधिक किस्मों के प्रजनक बीज अधिकार किसानों को प्रदान किये जा चुके हैं। जिसके द्वारा किसानों के आर्थिक वैश्विक विकास में महती भूमिका रहेगी। संगोष्ठी में पन्ना, जबलपुर, मंडला, डिण्डोरी के किसानों को प्रजनक बीज अधिकार प्रमाण पत्र भी दिए गए।
किसानों को दिए प्रमाणपत्र
कुलपति डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा एवं डॉ. दिनेश अग्रवाल के द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किए गए। पन्ना के राजेन्द्र सिंह को टमाटर की प्रजाति (टमाटर राजेन्द्र) एवं परशू आदिवासी को धान की पसाई धान, खिरवा सहित अन्य किसानों को प्रजनक बीज अधिकार प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ अनीता बब्बर, डॉ रामकृष्ण, डॉ यतिराज खड़े, डॉ आशीष गुप्ता का सहयोग रहा। जनक्रविवि देश का पहला डीयूएस, पी.पी.व्ही.एफ.आर.ए. सेंटर है, जिसने 24 फसलों के 5 सौ से भी अधिक किस्मों के प्रजनक बीज अधिकार प्रमाण पत्र भारत सरकार द्वारा हासिल किये हैं।