कोरोना के कारण फीकी पड़ी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जंयती, महज चंद लोग हुए शामिल

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। एकात्म मानववाद का मूलमंत्र देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज 104 वीं जयंती है। बीजेपी के पितृ पुरुष कहलाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 104 वीं जयंती को हर साल भारतीय जनता पार्टी धूमधाम से मानती है। पर इस साल कोरोना काल के चलते पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पूरी तरह से फीकी रही। महज चंद लोग आज जयंती में शामिल हुए और भाजपा के बड़े नेताओं ने दूरी बना रखी।

जबलपुर के दीनदयाल चौक और तिलहरी में भाजपा कार्यकर्ताओं ने पंडित दीनदयाल की प्रतिमा पर मालायार्पण किया। इस मौके पर भाजपा नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। भाजपा नेताओं ने कहा है कि पंडित दीनदयाल का राजनीतिक जीवन पारदर्शिता रखने का सबक सिखाता है। साथ ही उनके पूरे राजनीतिक जीवन से भाजपा को नई दिशा मिलती रही है और समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के उत्थान के लिए प्रेरणा मिलती है। इसलिए आज उनके जन्म उत्सव में भाजपा के कार्यकर्ताओं उनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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