नहीं होगी अब ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी, भिलाई से बुलवाए गए सिलेंडर

जबलपुर,संदीप कुमार। कुछ दिन पहले तक मेडिकल कालेज,जिला अस्पताल सहित अन्य निजी अस्पतालों में अचानक ही ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी आ गई थी,इस कमी के बाद से स्वास्थ्य विभाग सहित जिला प्रशासन भी सख्ते में आ गया था पर अब जबकि छत्तीसगढ़ के भिलाई से पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर की खेप आना शुरू हो गई है तो अब कहीं से भी किसी तरह की कमी जबलपुर में नही है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की माने तो छत्तीसगढ़ के भिलाई से कल भी ऑक्सीजन सिलेंडर की बडी खेप आई थी, जो कि अब लगातार रहेगी। ऐसे में अब ऑक्सीजन सिलेंडर की कही से भी कमी जबलपुर में नहीं होगी। जबलपुर में प्रतिदिन 1000 सिलेंडर की व्यवस्था की गई है, वहीं अब जबकि भिलाई से भी ऑक्सीजन सिलेंडर की आवक हो रही है तो अन्य पड़ोसी जिले सतना,मंडला,दमोह को भी ऑक्सीजन सिलेंडर दिए जा रहे है।

मेडिकल कालेज में बनेगा ऑक्सीजन प्लांट

जबलपुर में ऑक्सीजन की डिमांड को देखते हुए मेडिकल अस्पताल कैंपस में जबलपुर जिला प्रशासन जल्द ही एक स्थाई ऑक्सिजन प्लांट बनाने भी जा रहा है, ताकि ऑक्सीजन की किल्लत की समस्या से निजात पायी जा सके। कुछ दिन पहले संभाग कमिश्नर में इसकी रूपरेखा भी बनाकर सामने रख दी थी। कहा जा रहा है कि कोरोना के इलाज में सबसे ज़्यादा ज़रूरत ऑक्सीजन की होती है। ऑक्सीजन न मिलने पर मरीज़ की मौत हो सकती है। मध्य प्रदेश में कोरोना की रफ्तार और मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है, यही वजह है कि ऑक्सीजन की ज़रूरत वर्तमान में बेहद ज्यादा है।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।