नगर पंचायत में पदस्थ दो कर्मचारियों ने ट्रेन से कटकर दी जान, मचा हड़कंप  

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। नगर पंचायत शहपुरा (Nagar Panchayat Shahpura) में पदस्थ दो कर्मचारियों ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या (Suicide) कर ली। घटना शहपुरा रेलवे स्टेशन से 500 मीटर की दूरी पर हुई।  खास बात ये है कि दोनों  एक साथ ऑफिस  से निकले थे। घटना के बाद से क्षत्र में हड़कंप मचा हुआ है।  दोनों ने खुदकुशी क्यों की ये कारण अभी अज्ञात है।  पुलिस ने प्रारंभिक कार्रवाई के बाद शवों को भेजा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

नगर पंचायत शहपुरा में पदस्थ बाबू और चपरासी ने कल देर रात एक साथ ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली,आत्महत्या करने की वजह क्या है पुलिस अभी इसकी जांच में जुट गई है।  नगर पंचायत  में कार्यरत 2 कर्मचारियों  की एक साथ खुदकुशी करने को लेकर पूरे क्षेत्र के लोग कई तरह की बातें  कर रहे हैं।  मृतकों के नाम नगर पंचायत में कार्यरत क्लर्क किशोर  सिंह एवं भृत्य जमील उर्फ़ बिट्टू  हैं।

रोज की तरह सामान्य तरीके से आए कार्यालय 

बताया जा रहा है कि नगर पंचायत  में पदस्थ बाबू किशोर सिंह और भृत्य जमील उर्फ बिट्टू रोज की तरह कार्यालय पहुंचे।  दोनों ने साथ में ही काम किया और फिर पैदल ही भैरूमाता मंदिर की ओर चले गए कुछ देर बाद दोनों फिर रेल पटरी के पास गए और ट्रेन के सामने छलांग लगा दी, सूचना पर पहुंची पुलिस ने स्टाफ के लोगों से दोनों की शिनाख्त करवाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया।

चपरासी जमील पहले भी कर चुका है आत्महत्या का प्रयास 

शहपुरा थाना पुलिस की जांच में पाया गया कि कार्यालय में पदस्थ चपरासी जमील इससे पहले भी आत्महत्या का प्रयास कर चुका है, जमील ने खुद पर चाकू से हमला कर आत्महत्या करने का प्रयास किया था इसके बाद आसपास के लोगों ने उसे घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया था और फिर कुछ दिन बाद वह ठीक भी हो गया।

शव के आसपास नहीं मिला किसी तरह का सुसाइड नोट

थाना प्रभारी शहपुरा के मुताबिक पुलिस दोनों की आत्महत्या को लेकर जांच में जुट गई है, आत्महत्या में कई तरह के एंगल भी खंगाले जाएंगे। नगर पंचायत  के कर्मचारियों के बयान भी इस पूरे मामले को लेकर लिए जाएंगे जिससे पता चले कि कहीं दोनों ने कोई विभागीय परेशानी के चलते तो यह कदम नहीं उठाया। हालांकि पुलिस को मौके पर किसी तरह का सुसाइड नोट नहीं मिला है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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