सीएमओ ने वापस लिया अपना फैसला, दी रावण दहन करने की अनुमति

jhabua cmo granted permission for ravan dehan

झाबुआ, विजय शर्मा। देशभर में कोविड-19 अनलॉक की प्रक्रिया के अंतर्गत हर संप्रदाय हर वर्ग को अपने धार्मिक त्योहारों को शासकीय कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाने की अनुमति दी गई है। नगर पालिका झाबुआ द्वारा रावण दहन संबंधित एक विशेष बैठक में बिना नगर के गणमान्य नागरिकों, सामाजिक संगठनों, धार्मिक संगठनों या मीडिया को आमंत्रित किया गया और रावण दहन ना करने का फैसला लिया गया था । युग युगांतर से रावण दहन की परंपरा हिंदू समाज में चली आ रही है एवं इसे खंडित न किए जाने को लेकर नगर के समस्त हिंदू संगठनों ने संयुक्त रूप से नगर पालिका सीएमओ को ज्ञापन के माध्यम से सांकेतिक रूप से रावण दहन करने की मांग रखी।

नगर के केवल सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के प्रमुख व्यक्तियों एवं प्रशासन के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में 51 फीट का रावण ना बनाते हुए सांकेतिक 11 फीट का रावण दहन करने की बात कही गई। नगर पालिका सीएमओ द्वारा समाज की आस्थाओं का सम्मान करते हुए एवं संगठनों की युक्ति संगत मांग को देखते हुए पूर्व में लिया गया रावण दहन न करने का निर्णय वापस लेते हुए सांकेतिक रूप से 11 फीट का रावण केवल प्रमुख प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अलग स्थान विशेष पर दहन करने की घोषणा की गई ।  नगर पालिका सीएमओ द्वारा लिए गए त्वरित एवं जन हितेषी निर्णय से सर्व हिंदू समाज में हर्ष की लहर व्याप्त है एवं सभी संगठनों द्वारा माननीय सीएमओ के निर्णय का स्वागत किया है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।