पुलिस की दरियादिली, मानसिक रुप से विक्षिप्त व्यक्ति का कराया उसके परिवार से मिलन

Gaurav Sharma
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झाबुआ, विजय शर्मा। जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक पुलिस और सामिजक कार्यकर्ता ने मिलकर इंसानियत की अनोखी मिसाल पेश की है। जिसमें मानसिक रुप से एक विक्षिप्त व्यक्ति जो कि शहर में भिक्षावृत्ति कर इधर उधर भटकता रहता था उसको उसके घर वालो से मिलवाया है।

दरअसल पिछले पांच से छह महीने से थांदला कस्बे में एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति भिक्षावृत्ति कर इधर-उधर भटक रहा था, जिसकी मदद करने के लिए थाना थांदला पुलिस और शहर के सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद शकील आगे आए। सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद शकील पिता ईशाद मोहम्मद जोकि थांदला के एमजी रोड़ के रहने वाले है, उनके द्वारा मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति से लगातार संपर्क कर उसकी देख-भाल की गई। साथ ही वो लगातार विक्षिप्त व्यक्ति से उसका नाम-पता पुछते रहे, जिस पर उसने अपना नाम प्रभात बताया और निवासी सीतामढ़ सोनवर्षा, बिहार का होना बताया। जिसके बाद थांदला पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद शकील द्वारा सीतामढ़ सोनवर्षा, बिहार में संपर्क किया गया और प्रभात के बारे में जानकारी दी गई। वहीं जानकारी जुटाने पर पता चला की उक्त व्यक्ति जिसका पुरा नाम पता प्रभात पिता रामेश्वर सिहं कुशवाह है जिसकी उम्र 27 वर्ष है वो सीतामढ़ सोनवर्षा, बिहार का रहने वाला है, जो मानसिक रूप से कमजोर है एवं सदर थाने का गुमशुदा है। जिस पर थाना सीतामढ़ सोनवर्षा, बिहार को जरिए मोबाईल से गुमशुदा प्रभात की सूचना दी गई। गुमशुदा के भाई सुभाष पिता रामेश्वर सिंह कुशवाह को तलब कर थाना थांदला पर प्रभात को नये कपड़े, जूते एवं सैनेटाजर, मास्क देकर उसके भाई सुभाष के सुपुर्द किया। अपने नेक काम के लिए उक्त टीम को पुलिस अधीक्षक झाबुआ द्वारा उचित ईनाम से पुरूस्कृत करने की घोषणा की गई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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