काम पर वापस लौटे जूनियर डॉक्टर्स, हड़ताल ख़त्म चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने दी बधाई

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  मध्यप्रदेश सरकार और जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) के बीच चला आ रहा गतिरोध समाप्त हो गया है और जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने सात दिनों से चली आ रही हड़ताल (Strike) वापस ले ली है।  चिकित्सा शिक्षा मंत्री के लगातार संवाद और समझाइश के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने मरीजों का हित और हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हड़ताल वापस ले ली। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और बधाई दी।

स्टाइपेंड बढ़ाने जैसी मांग के साथ छह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर गए मध्यप्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स की सात दिनों से चल रही हड़ताल आखिरकार समाप्त हो गई। हालाँकि इस बात के संकेत पिछली रात से मिलने लगे थे जब रात करीब दो बजे जूनियर डॉक्टर्स चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग (Vishvas Kailash Sarang) के बुलावे पर उनके बंगले पर पहुंचे थे। मंत्री सारंग ने उन्हें विश्वास दिलाया कि सरकार उनकी मांगें मानने के लिए गंभीर है और उन्हें आपदा के इस समय में हड़ताल नहीं करनी चाहिए।

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सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर 31 मई से हड़ताल पर गए मध्यप्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स इस बार आर या पार की लड़ाई के मूड में थे लेकिन कोरोना काल में हड़ताल का उनका फैसला व्यावहारिक दृष्टिकोण और उनके डॉक्टरी पेशे के सिद्धांतों के भी विपरीत था। शुरुआत में सरकार ने बहुत समझाने की कोशिश की, भरोसा दिलाया कि आपकी मांगों पर सरकार गंभीर है लेकिन जूनियर डॉक्टर्स लिखित आश्वासन चाहते थे।

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जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल का मामला हाईकोर्ट पहुँच जहाँ कोर्ट ने हड़ताल को अवैध बता दिया और डॉक्टरों को 24 घंटे में काम पर वापस लौटने के निर्देश दिए। जूनियर डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं माना और हड़ताल जारी रखी।जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका भी दर्ज की गई।

उधर लगातार संवाद की कोशिशों के बीच रविवार को जूनियर डॉक्टर्स मंत्री विश्वास सारंग के बंगले पर पहुंचे। जहां मंत्री से उनकी मुलाकात हुई और लम्बी बातचीत हुई । लेकिन इस मुलाकात और बातचीत में कोई समाधान नहीं निकल पाया। रविवार देर रात करीब दो बजे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने अचानक जूनियर डॉक्टर्स को अपने बंगले पर बुलाया और उनके साथ बातचीत की। इस मुलाकात में बात बन गई और जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल वापस लेने पर राजी हो गए। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हड़ताल समाप्ति की घोषणा कर दी।  उसके बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और बधाई  भी दी।  बताया जा रहा है कि सरकार ने स्टाइपेंड बढ़ाये जाने सहित जूनियर डॉक्टर्स की चार मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया है।

काम पर वापस लौटे जूनियर डॉक्टर्स, हड़ताल ख़त्म चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने दी बधाई

दरअसल इस मामले में सोमवार को ही हाईकोर्ट में सुनवाई है और दोनों ही पक्ष इस बात को लेकर आशंकित थे कि कहीं हाईकोर्ट उनके ऊपर अवमानना की कार्रवाई ना कर दे। उधर आज सोमवार को मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल ने समाचार पत्रों में कारण बताओ नोटिस भी प्रकाशित करवाई जिसमें मध्यप्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के 21 जूनियर डॉक्टर्स को नोटिस जारी कर कहा कि आप अवैधानिक रूप से हड़ताल कर रहे हैं जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है और अस्पतालों की व्यवस्थाएं प्रभावित हो रहीं हैं। आपका  आचरण इंडियन मेडिकल काउन्सिल प्रोफेशनल कंडक्ट एटिकेट एन्ड इथिक्स का उल्लंघन है।  ऐसा कर आपने स्वयं को मध्यप्रदेश मेडिकल काउन्सिल से अपना पंजीयन निरस्त करने के लिए उत्तरदायी बना लिया है अतः आपको निर्देशित किया जाता है कि 10 जून को काउन्सिल की इथिकल कमेटी के सामने अपना पक्ष रखें कि क्यों ना मध्यप्रदेश मेडिकल काउन्सिल से आपका पंजीयन निरस्त कर दिया जाये।  नोटिस में गाँधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के 3, महात्मा गाँधी स्मृति मेडिकल कॉलेज इंदौर के 5, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के 3, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा के 5, जीआर मेडिकल  कॉलेज के 2 और बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के 3 के जूनियर डॉक्टर्स के नाम हैं।

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बहरहाल जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल समाप्त करने के फैसले से उनके और सरकार के बीच चला आ रहा गतिरोध थम गया है और आपदा की इस घडी में हड़ताल से घबराये मरीजों के परिजनों ने राहत की सांस ली है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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