नेताओं को सद्बुद्धि मिले, खंडवा की आवाज ने किया शोक सभा के साथ मुंडन

Gaurav Sharma
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खंडवा, सुशील विधाणी। शहर में 26 जनवरी के दिन एक युवक की दुर्घटना में मौत हो गई थी और यह पहली मौत नहीं थी इससे पहले से शहर में मौतों का सिलसिला अब तक जारी है। नेता हर बार शहर में बायपास और रिंग रोड की बात करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद यह वादे भूल जाते हैं। यह मुर्दों का शहर है, चंद लोगों से जागेगा नहीं आप सभी को एकजुट होकर आगे आना होगा यह बात मनोज राठौर ने कही।

मनोज राठौर आगे कहते है कि नेताओं को जगाना पड़ेगा। शहर के नेताओं को आगे आकर रिंग रोड और बायपास के लिए शहर से जो वादे किए थे उन्हें पूरा करना चाहिए। रिंग रोड और बायपास के लिए यूथ कांग्रेस के युवा नेता मुल्लू राठौर ने अपना सर मुंडवा कर अपना विरोध जताया। साथ ही नेताओं को सद्बुद्धि के लिए खंडवा में चलाए जा रहे हैं सोशल मीडिया ग्रुप खंडवा की आवाज जिसके नाम से खंडवा में प्रदर्शन आयोजित हो रहे हैं। खंडवा की आवाज द्वारा पहले हर्ष यात्रा निकाली गई थी, वहीं आज शोकसभा हुई और मौन धारण भी किया गया।

कार्यक्रम को धर्मगुरुओं और सिख समाज ने संबोधित किया, इसके साथ ही मुस्लिम समाज, हिंदू समाज , बोहरा समाज के लोग भी पहुंचे और उन्होंने भई अपना विरोध दर्ज कराया। खंडवा के लोग एकजुट होकर खंडवा की आवाज के नाम से शहर में अर्थी घुमाने के बाद प्रशासन का विरोध दर्ज कराते हुए मृत्यु भोज भी कराने को तैयार है। इस संख्या में आज खंडवा की आवाज द्वारा मुंडन कार्य किया गया, जो नगर निगम कार्यालय के बाहर टेंट लगाकर प्रदर्शन किया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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