Indore News : नाबालिग ने लगाई दूसरी मंजिल से छलांग, मौके पर ही मौत।

Gaurav Sharma
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इन्दौर, डेस्क रिपोर्ट। मां बाप बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करते, अपनी पूरी जिंदगी इसलिए कष्ट में गुज़ार देते हैं कि उनके बच्चों को कोई तकलीफ न हो। लेकिन इतने के बाद भी अगर मां बाप बच्चे को गलती पर ज़रा डांट दें और यह बात बच्चों को नागंवारा हो तो बड़े ही दुर्भाग्य की बात है।

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ऐसा ही एक मामला इंदौर के तेजाजी नगर थाना क्षेत्र का सामना आया है जहां रहने वाले एक 14 वर्षीय नाबालिग ने माँ के डांटने के बाद घर की दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी। परिजन जैसे तैसे घायल बच्चे को लेकर निजी हॉस्पिटल पहुचे पर वहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने मर्ग कायम कर बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय हॉस्पिटल भिजवाकर जांच शुरू कर दी है ।

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जानकारी के मुताबिक इंदौर के तेजाजी नगर थाना क्षेत्र के बीचोली हप्सी में रहने वाले एक नाबालीग बच्चे राघव ने माँ के डांटने से आहत होकर अपने ही घर की दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। बताया जा रहा है कि घटना कल शाम की है जहां नाबालिग राघव अपने घर पर खेल रहा था तभी राघव की माँ ने आकर उसे किसी गलती पर डांटना शुरू कर दिया जिससे राघव इतना आहत हो गया। इसके बाद उसने अपनी मल्टी की दूसरी मंजिल पर गया और वहां से छलांग लगा दी। छलांग लगाने के बाद बच्चा बुरी तरह घायल हो गया।घायल राघव को परिजन तुरंत हॉस्पिटल लेकर पहुचे जहा एक घंटे इलाज चलने के बाद उसकी मौत हो गई। मामले की जांच पुलिस ने शुरू कर दी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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