भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश को विदेश से कोयला आयात करने के लिए केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है। पहले कोयला को विदेश से खरीदने को लेकर प्रक्रिया में पेंच फंस गया था लेकिन कोल इंडिया ने राज्य सर्कार से कहा वह इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकती है।
बता दे 3 हफ्ते पहले टेंडर जारी होने के बाद केंद्र सरकार ने एक हफ्ते पहले राज्य सरकार से इस प्रक्रिया को रोकने के लिए और कोल इंडिया से कोयला खरीदने को कहा था। लेकिन अब विदेश से कोयला खरीदने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र ने कहा कि जो रेट आए हैं, उन्हें कम करके कोयले की खरीदी करे।
राज्य 7.5 लाख टन कोयला खरीदेगा
इस प्रक्रिया के तहत मध्य प्रदेश 7.5 लाख टन कोयले का आयात करेगा, जिसकी कीमत लगभग एक हजार करोड़ होगी। बिजली विभाग के सूत्रों का कहना है कि पूर्व में रेट 19 हजार 500 रुपए प्रतिटन आए हैं। इसे लेकर सप्लायर से नेगोशिएशन किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, मूल्य कम होने के बाद दो-तीन दिन में फाइनल बिड जारी कर दी जाएगी। केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे कुल खपत का 20 फीसदी तक कोयला खरीद सकते हैं, जिसके आधार पर मध्य प्रदेश इस साल करीब 3000 करोड़ रुपये का कोयला खरीदने की तैयारी कर रहा है।
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मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी (एमपी जेनको) के एमडी मंजीत सिंह के मुताबिक, प्रदेश के पास दोनों तरह के विकल्प मौजूद हैं। वह केंद्र से भी कोयला ले सकता है और खुद भी खरीदी कर सकता है। फिलहाल, प्रक्रिया नेगोशिएशन मोड़ में है।
उपभोगताओं पर बढ़ेगा भार
मध्य प्रदेश जो कोयला खरीदने जा रहा है वह देश के कोयले से कई गुना महंगा है। एमपी जेनको के पूर्व अपर मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि बिजली मानकों में ‘पास थ्रू’ का प्रावधान है। यानी कोयले की खरीद का बोझ बाद में टैरिफ बढ़ोतरी के जरिए उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा, जो 90 पैसे से लेकर 1 रुपये तक हो सकता है।
बता दे, एमपी जेनको ने एमपी के इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन से भी नहीं पूछा। आयोग खुद उपभोक्ताओं के हितों के बारे में सोचता है।