आईपीएल : CM के आदेश के बाद भी प्रशासन मौन, सट्टेबाज सक्रिय

Pooja Khodani
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मंदसौर, तरुण राठौर। इन दिनों आईपीएल (IPL) मैच चल रहे है और युवा लाखों का सट्टा लगा रहे है। जिसके लिए वे सूदखोरों से ज्यादा ब्याज पर पैसा ले रहे है। जब वह सट्टे में पैसा हार रहे है, तो सट्टे के लाइन वाले व ब्याजखोर दोनों ही उन्हें परेशान कर रहे है, जिससे परेशान होकर वे आत्महत्या का रास्ता अपनाया रहे है। किंतु पुलिस है कि इस सट्टेबाज व सूदखोर रहम दिखा रही है। जबकि मुख्यमंत्री के आदेश है कि सूदखोर व सट्टेबाजों पर कार्यवाही की जाए। ताकि ये लोग आम लोगो को परेशान न करे।किन्तु देखने में आ रहा है।

इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। रविवार को एक ऐसा ही मामला देखने में आया। जिसमें एक 27 वर्षीय युवक ने सट्टेबाज व सूदखोरों से परेशान होकर घर पर फांसी लगा ली। जिसमें उसकी मौत हो गई है।पुलिस ने बताया कि कपिल पिता देवीदास मनवानी उम्र 27 पारख कालोनी ने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जिस समय आत्महत्या की उस समय कपिल के पिता अपनी दुकान सीतामऊ फाटक रोड़ पर थे। जबकि उसकी माँ व पत्नी घर के दूसरे कमरे में थी। जब उसकी पत्नी कमरे में गई तो पति की लाश फंदे लटकी, जिसकी सूचना पुलिस को दी।पुलिस मौके पर पहुंची लाश फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पतला भेजा। जहां पर उसकी लाश का पोस्टमार्टम कर परिवार के सुपर्द की।

बताया जा रहा है कि इस समय मन्दसौर बड़े सत्तर पर आईपीएल के सट्टा चल रहा है। जिसे केपी नामक युवक चला रहा है। जिसके कई छररे शहरभर के कौन में काम कर रहे है। जिनका लाइन चलना है। हारने पर उनसे पैसा वसूल करना है। इसके लिए व खाईवाल को मानसिक तौर पर परेशान करते है। जिससे परेशान होकर लोग उचे दामो पर सूदखोरों से पैसा लेकर आते है। नहीं दे पाने की सट्टेबाज व सूदखोरों के चंगुल में फंस जाता है। आखिर आत्महत्या करने का कदम उठता है। कपिल के साथ भी ऐसा ही चल रहा था। उससे रोज सट्टे की लाइनवाले केपी के आदमी व सूदखोर परेशान करते थे। कुछ दिन पूर्व कपिल के पिता ने इन लोगो को पैसे दिए थे। उसके बाद भी सूदखोर ओर सट्टेबाज केपी आदमी परेशान कर रहे थे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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