मंदसौर में कोरोना का कहर, स्वास्थ्य विभाग का अमला प्रशासन के कार्यो पर लगा रहा पलीता

Pooja Khodani
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मंदसौर, तरुण राठौर। मंदसौर जिले में प्रतिदिन कोरोना विस्फोट हो रहा है। वही जिला प्रशासन द्वारा कार्यशाला आयोजित कर आम जन से सुझाव मांग रही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग का अमला प्रशासन के कार्यो पर पतीला फेरता दिखाई पड़ रहा है।

मंदसौर के पारख कॉलोनी स्थित एक परिवार का 46 वर्षीय युवक कोरोना से संक्रमित पाया जाने के बाद प्रशासन के उसके घर के बाहर पर्चा चस्पा कर उसे 5 सितंबर से होम कोरन्टीन किया गया लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का अमला अभी तक मरीज की सुध लेने तक नही पहुँचा। मरीज द्वारा लगातार कोरोना सेंटर पर मोबाइल से संपर्क कर बोला जा रहा है कि मुझे क्या मेडिसिन लेना है। आप बता दे ओर मुझे क्या करना है लेकिन सेंटर से यही जवाब दिया जाता है कि आप के यहाँ जल्द ही स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंचने वाली है। लेकिन टीम तो आज तक नही पहुँची ओर विभाग ने बड़ा कारनामा कर दिखाया बिना सेम्पलिंग के ही मरीज की पत्नी को कोरोना संक्रमित बताते हुवे 9 सितंबर को उनके नाम का भी पर्चा घर के बाहर चस्पा किया गया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि पति के पर्चे में परिवार के सदस्यों की संख्या 4 बताई गई है। वही पत्नी के पर्चे में परिवार की संख्या 10 बताई गई है।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा प्रसाशन ने कहा पर्चा चिपकाने की तो चिपका दिया।जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मरीज के घर के बाहर दूसरा पर्चा चिपकाने पहुँची तो परिजन ने पूछा कि यह क्या है। तब कार्यकर्ता ने बताया कि मरीज की पत्नी भी कोरोना संक्रमित है। तब परिजनों ने कहा कि उनका व परिवार में किसी का सेम्पल नही लिया गया है तो ये कोरोना संक्रमित कैसे हो गई? इस पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा कि मुझे तो प्रसाशन ने कहा कि धर के बाहर कोविड का पर्चा चस्पा करदो तो मैने कर दिया है। आप को अगर कुछ कहना है तो आप कोविड सेंटर बात करें।

कोविड मरीजों की सुध लेने वाला कोई नही
5 सितंबर से होम कोरन्टीन मरीज की आज तक किसी ने सुध तक नही ली। मरीज द्वारा लगातार कोरोना सेंटर पर गुहार लगाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का अमला अभी तक उसे देखने नही पहुँचा। ओर नाही मरीज को किसी भी प्रकार की कोई मेडिसिन उपलब्ध कराई गई। मरीज द्वारा यहाँ तक कहा जा रहा कि आप मुझे मेडिसिन बतादे में बाजार से मंगवा लेता हूं लेकिन मेडिसिन बतलाने वाला भी कोई नही है। ऐसे में मरीज का आत्मबल कमजोर होना सभाविक है। ओर मरीज की इम्युनिटी मजबूत कैसे होगी और वह कोरोना से लगाई में कमजोर होना सभाविक है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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