मंदसौर, तरूण राठौड़। कोरोना महामारी में समय संक्रमितों के इलाज के लिए रेमेडेसीवीर-100 mg इंजेक्शन जीवन रक्षक बनकर उभरा है। मगर अफसोस कि शहर के जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में यह इंजेक्शन दवा माफियाओं के चलते उपलब्ध नहीं है। उन्होंने इस इंजेक्शन का संग्रहण कर लिया है जिसके चलते दवा बाजार में इस इंजेक्शन को दोगुने दामों पर बेचा जा रहा है। मजबूरी में परिजन इसे दवा माफिया से उनकी मुँहमांगी कीमत पर खरीद रहे हैं। एक संक्रमित मरीज को 6 से 8 इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।
मध्यप्रदेश में यह इंजेक्शन संभागीय मुख्यालयों में ही उपलब्ध है और सरकार इसे उपलब्ध नहीं करवा रही है। जबकि पड़ोसी गुजरात और अन्य कई राज्यों की सरकार ये इंजेक्शन मुहैया करा रही है। ऐसे में रेमेडेसिवीर इंजेक्शन जिसका लागत मूल्य 900 रुपये है, दवा कंपनियों से थोक व्यापारी करीब 2800 से 3000 के बीच खरीद रहे हैं और मरीज को 5400 का एक इंजेक्शन पड़ रहा है। कई बार ब्लैक में भी उपलब्ध नहीं होने के कारण इसकी कीमत 8 हजार तक पहुंच जाती है।
कोरोना संक्रमणकाल में अगर कोई गरीब इस बीमारी की चपेट में आ जाता है तो उसके लिए इतने महंगे दामों पर 6 से 8 इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं। इस समय सरकार सहित सभी राजनीतिक दल उपचुनाव की तैयारियों में व्यस्त है, ऐसे में किसी लाचार गरीब की आवाज और इस कालाबाजारी की गूंज उन तक पहुंच पाती है या नहीं, ये देखने वाली बात होगी।