मंदसौर में सुबह होती है रावण की पूजा शाम को प्रतीकात्मक वध

Amit Sengar
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मंदसौर,राकेश धनोतिया। मंदसौर (mandsaur) में रावण की बरसो पुरानी मूर्ति है, जिसे दशहरे के दिन पूजा जाता है। यहां के नामदेव समाज द्वारा रावण को पूजा जाता है। नामदेव समाज की मान्यता है की रावण परमज्ञानी था, परमभक्त था और श्रेष्ठ योगी भी था इसलिए रावण पूज्यनीय भी है।

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रावण के पैरो में लच्छा बांधने से मन की मुराद तो पूरी होती है ही साथ ही साथ आने वाले हर संकट से मुक्ति भी मिलती है। जिन लोगो को एकात्रा का बुखार रहता है, उनके नाम का धागा यदि रावण की मूर्ति के पैरो में बांधा जाए तो वे लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। यहां कई लोग संतान प्राप्ति के लिए भी आते हैं। जिनकी संताने हो चुकी है वो यहां उनके लिए विद्या व व्यापार की कामना लेकर आते हैं।

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माना जाता है की मंदोदरी मंदसौर की बेटी थी,तो इस लिहाज से रावण मंदसौर के दामाद भी है। यही कारण है की आज भी कई बुजुर्ग महिलाएं रावण के सामने से पर्दा करके निकलती है। 51 फीट की यह मूर्ति मंदसौर के चमत्कारी तथा अद्वितीय है। इसके पैरो में लच्छा बांधने से बीमार व्यक्ति भी सही हो जाता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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