धड़ल्ले से चल रहा सट्टा कारोबार, पुलिस प्रशासन नहीं ले रहा सुध

Gaurav Sharma
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मन्दसौर,तरुण राठौर । आईपीएल मैच के साथ ही शहर में किक्रेट सट्टा बाजार के सारे सटोरियो का मजमा जम गया है, वहीं इस समय शहर में कितने बड़े स्तर पर क्रिकेट का सट्टा चल रहा है इस बात से पुलिस प्रशासन अनजान है। शहर सहित आसपास के सारे बुकी इस समय सट्टे का कारोबार बड़े स्तर पर मोबाइल पर कर रहे है। बताया जा रहा है कि मैच शुरू होने से पहले ही शहर और जिले के बाकी जगाहों से आए बुकी अपने-अपने ठिकानों पर पहुंच गए है और वहां जाकर उन्होंने अपने लेपटॉप और मोबाइल का सेटअप जमा दिया है, जिससे वो आसानी से अपने कारोबार को बीना किसी परेशानी के कर सके। वैसे तो यह बुकी आम दिनों में शहर की सडक़ों पर लक्जरी कारों में घुमते है। लेकिन आईपीएल शुरू होते ही यह सभी अपने-अपने ठिकानों पर जाकर बैठ जाते है और वहीं से लाखों की बोलियां लगाना शुरू करते है।

सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार इन बुकियों द्वारा शहर भर के छोटे-बड़े करीब 80 से 100 सटोरियों को मोबाइल फोने में आईडी दे दी जाती है। जिसके बाद आईपीएल की काली दुनियां की शुरूआत होती है, अब आईपीएल का शौकिन मैच पर दाव लगाने के लिए इस आईडी में हजारों रूपए भी ट्रांसफर करता है। जिससें की वह मैच पर बोली लगा सकें। सूत्रों की माने तो जितने सटोरियों द्वारा आईपीएल पर दांव लगाएं जाते है, उनमें से अधिकतक मध्यमवर्गीय परिवार के है। बाकि जो बचते है, वह सभी काली कमाई से ऐशो आराम की जिदंगी बीता रहे हैं। शहर में यहां काला कारोबार हर गली मोहल्ले में धड़ल्ले से चल रहा है। इन सब जगहों में सबसे हैरानी की बात यह है कि इन सभी बुकियों पर पुलिस प्रशासन का हाथ है तभी इन्होंने पुलिस थानों के पास ही अपना ठिकाना जमाया हुआ है। हालातों को जानते हुए पुलिस महकमे को इस समय साइबर सेल को सक्रिय कर देना चाहिए था पर पुलिस इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जिसकी वजह से अभी तक पुलिस को कोई बड़ा सोर्स सटोरियों का हाथ नहीं लगा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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