मंदसौर/तरूण राठौड़
जिले में लॉकडाउन लगा हुआ है, ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रशासन नियमों में ढिलाई लाते हुए व्यपारियों को व्यापार करने की अनुमति दे रही है। लेकिन शुक्रवार को नगर में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को चौंका दिया। शासन के प्रतिबंध, डब्ल्यूएचओ (WHO) की गाइडलाइन के बावजूद जिला प्रशासन ने 30 नंबर बीड़ी (30 number beedi) को थोक में बेचने की अनुमति दे दी और इसके लिये बाकायदा अनुमति पत्र (permission letter) जारी कर दिया। ये बात पता चलते ही विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया (mla) ने तत्काल संज्ञान लेते हुए 15 मिनट के भीतर ही प्रशासन द्वारा बीड़ी बेचने को दी गई अनुमति को निरस्त कराया।
कोरोना के संक्रमण को फैलाने में तंबाकू उत्पाद (tobacco product) और धूम्रपान सहायक है। यह बात डब्ल्यूएचओ भी अपनी गाइडलाइन में कह रहा है। इसके चलते भारत सरकार ने तंबाकू उत्पाद और बीड़ी, सिगरेट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन फिर भी चोरी छुपे बीड़ी सिगरेट कई दुकानों पर बिक रही है। लेकिन हद तो तब हो गई जब खुद जिला प्रशासन ने थोक व्यापारी को 30 नंबर बीड़ी बेचने की अनुमति जारी कर दी। इसके बाद व्यापारी लोडिंग लेकर बाजार में निकल पड़ा और धड़ल्ले से 30 नंबर बीड़ी बेचने लगा। जबकि प्रशासन ने दूसरे किसी भी ब्रांड को बेचने की अनुमति नहीं दी थी और ना ही छोटे दुकानदारों को दुकानें खोलने की अनुमति थी। इस अनुमति को लेकर संकट प्रबंधन की बैठक में भी कोई विचार नहीं हुआ लेकिन फिर भी अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट बी.एल. कोचले के हस्ताक्षर से ही अनुमति जारी हो गई और व्यापारी ने डिलीवरी भी शुरू कर दी । इस बारे में जानकारी लगते ही विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने संज्ञान लिया जिला कलेक्टर से चर्चा कर महज 15 मिनट में ही प्रशासन ने बीड़ी बेचने की अनुमति को निरस्त कर दिया।
बीड़ी बेचने की अनुमति तो निरस्त हो गई लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर सरकार के प्रतिबंध और डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन के बाद भी 30 नंबर बीडी को बेचने की अनुमित किसलिए जारी की गई। साथ ही सवाल ये भी कि सिर्फ इसी ब्रांड की बीड़ी बेचने की अनुमति दी गई थी, तो क्या के किसी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया था। और क्या अब मामला सामने आने के बाद आदेश जारी करने को लेकर कोई जांच की जाएगी या नहीं।