मुरैना, नितेंद्र शर्मा। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक में ग्वालियर चंबल संभाग का प्रतिनिधित्व है बावजूद इसके चंबल संभाग का मुख्यालय मुरैना विकास से बहुत दूर है। सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई जाने वाली बड़ी बड़ी विकास योजनाएं तो दूर स्थानीय प्रशासन लोगों को बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं दे पा रहा। मानसून की बारिश ने स्थानीय प्रशासन की पोल खोल दी है हालात ये हैं कि शहर की सड़कें तालाब बन गई हैं।
मुरैना शहर की हालत राज्य सरकार और जिला प्रशासन से छुपी हुई नहीं हैं यहाँ हालात बाद से बदतर होते जा रहे हैं। जब केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मिशन अभियान पूरे भारत में चला तब मुरैना शहर में इसका कितना लाभ मिला ये जगह जगह लगे गन्दगी के ढेर बताते हैं। जिले में चल रहे विकास कार्यों की गति कछुआ चाल में है जो हालात आज से 10 वर्ष पहले तह आज भी लगभग वैसे ही हैं। जिसका नतीजा यहाँ की आम जनता भुगत रही है।
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मानसून के मौसम में तो मुरैना के हालातबहुत ख़राब हो जाते हैं। भीषण गर्मी के बाद इंद्रदेव की मेहरबानी चंबल संभाग पर हुई । रविवार से से शुरू हुई बारिश ने लंबे समय तक प्यासी चली आ रही धरती की प्यास को कुछ हद तक बुझाने की कोशिश की तो नगर निगम और प्रशासन विकास कार्यों की पोल खोल दी
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रुक रुक कर हो रही बारिश ने शहर में जगह-जगह पानी भर गया , सड़कें तालाब बन गईं, कई घर आधे पानी में डूब गए। वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर, बाजार में दुकानों के सामने जगह जगह कचरे और गन्दगी के ढेर लग गए। पिछले दो वर्षों से हम करोना जैसी महामारी से झूझ रहे हैं हमने कई अपनों को खोया व्यापार धंधे ठप हो गए।
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गौरतलब है कि दो साल से कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों के लिए ये गन्दगी और प्रदूषित वातावरण, बारिश में होने वाली संक्रामक बीमारियां लेकर ना आ जाये अब ये चिंता लोगों को सताने लगी है। अब देखना ये होगा कि मुरैना के हालात देखने के बाद भी आँख पर पट्टी बांधें बैठे जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की आँखें कब खुलती हैं।