कोरोना टेस्ट के लिए जा रहा आरोपी भागा, जनता ने पकड़कर किया पुलिस के हवाले

Atul Saxena
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मुरैना, संजय दीक्षित। मुरैना के सिविल लाइन थाना पुलिस की कार्यप्रणाली हमेशा ही संदेह के घेरे में रही हैं। चाहे शराब माफियाओं के मामला हो या फिर जुआरियों का मामला हो। यहाँ पदस्थ स्टाफ की लापरवाहियां सामने आती रही है ऐसा ही  मामला शनिवार को देखने को मिला है जिसमें कोरोना का टेस्ट कराने आए आरोपी के हाथ में ना हथकड़ी थी ना ही रस्सी थी वो  वो मौका देखकर फरार हो गया। वो तो भला हो जनता का जिसने पकड़कर आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया।

शनिवार को सिविल लाइन थाना पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई है। शराब तस्करी के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। जिनको पुलिस जिला अस्पताल में कोरोना टेस्ट कराने लाई थी। एक आरोपी गाड़ी में बैठा रहा तथा दूसरे आरोपी को पुलिस बिना हथकड़ी लगाए टेस्ट कराने ले गई। पुलिस की लापरवाही का फायदा आरोपी ने उठाया और मौका देखकर भाग निकला। आरोपी के भागते ही पुलिस कर्मियों के हाथ पैर फूल गए उन्होंने आरोपी को पकड़ने  दौड़ लगाई लेकिन जनता ने आरोपी को पकड़कर  पुलिस के हवाले कर दिया।

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इस पूरे घटनाक्रम ने सिविल लाइन थाना पुलिस की कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। ावल ये उठा रहा है कि सिविल लाइन थाना पुलिस जब आरोपी का कोरोना टेस्ट कराने जिला अस्पताल लेकर आई तो अस्पताल लाकर एक आरोपी निरोति कुशवाह, उम्र 32 वर्ष को पुलिस वालों ने खुला छोड़ दिया उसके हाथ में ना हथकड़ी लगाई और ना ही उसके हाथ बांधे। उसे बगैर हथकड़ी के ही डॉक्टर के पास कोरोना जांच कराने ले गए थे। तभी मौके का फायदा उठाकर भाग गया। यह पूरा मामला कोतवाली थाने के अर्न्तगत जेल रोड के पास घटित हुआ है।

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फिलहाल इस पूरे मामले में पुलिस लाइन थाना पुलिस की कार्यप्रणाली को संदेह की नजर से देखा जा रहा है। इस मामले में जब सिविल लाइन थाना प्रभारी विनय यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि हथकड़ी की चेन खराब थी। आरोपी  भाग गया था लेकिन तुरंत ही पकड़ा गया है। जब उनसे पूछा गया कि उसके हाथ क्यों नहीं बांधे थे तो वह इस सवाल का  वे उचित जवाब नहीं दे सके।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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