मुरैना।संजय दीक्षित।
जिले में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद से भाजपा कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी की। बीजेपी के जिलाध्यक्ष योगेशपाल गुप्ता ने बताया कि सरकार के कारनामे ऐसे ही थे जिसके कारण उन्है ये दिन देखना पड़ा है। कमलनाथ की भ्रस्ट सरकार को भाजपा ने उखाड़ फेंका हैं। गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो भी जनता से वादे किए हैं उन्होंने नही निभाए हैं, चाहे किसानों की कर्जमाफी का मामला हो या बच्चों को फ्री में लैपटॉप बाटना ,बेरोजगारी का मामला हो । सरकार से जनता का भरोसा टूट गया था और जनता भी त्रस्त हो गयी थी।आज खुशी का माहौल हैं।कॉंग्रेस के जो भी कार्यकर्ता भाजपा में आएंगे उनका स्वागत हैं।
2018 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से ही राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई थी। इस राजनीतिक अस्थिरता के लिए भले ही कांग्रेस और कमलनाथ बीजेपी और केंद्र सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं लेकिन इस अस्थिरता के पीछे असली कारण कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी असंतोष था। इस पूरे मामले को समझने के लिए हम दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद के राजनीतिक समीकरण को देखें तो आज जो हालात पैदा हुए हैं, उनकी आहट राज्य में चुनावों के पहले और बाद में दिखने लगी थी। चुनावों के पहले कांग्रेस के हाथ सत्ता आएगी या नहीं इस सवाल का सही सही जबाब नहीं था, इसलिए ये आहट थोड़ी कम सुनाई दे रही थी, लेकिन सत्ता के पास पहुंचते ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी अपने चरम पर पहुंच गई।
सिंधिया समर्थक ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सड़कों पर आ चुके थे। दिग्विजय सिंह को भी मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठने लगी थी, लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने कमलनाथ पर भरोसा जताया और उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।इसके साथ में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को कुछ मंत्री पद दिए गए, लेकिन सिंधिया समर्थक इससे खुश नहीं थे। वे लगातार सरकार के खिलाफ खुलकर बोल रहे थे। बीजेपी सिंधिया समर्थकों के साथ मिलकर सरकार गिरा सकती है ये बात बीजेपी के मंचों से हो रही थी। सड़कों और अखबारों में इसकी चर्चा थी।जिसके बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को इस्तीफा दे दिया।मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े के बाद बीजेपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने हनुमान चौराहे पर जिंदाबाद के नारे लगाते हुए मिठाई वितरित की।