ग्वालियर-चंबल में चुनावी दौरा : शिवराज ने क्यों कहा कमलनाथ को बोरा नाथ

Pooja Khodani
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मुरैना, संजय दीक्षित। मध्य प्रदेश (MP) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री former chief minister कमलनाथ kamalnat को एक नया नाम दे दिया ।मुरैना जिले के दिमनी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए शिवराज बोले ‘कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) में भ्रष्टाचार का आलम यह था कि अगर विधायक, मंत्री या सांसद कमलनाथ से मिलने जाते थे तो वह घड़ी की तरफ देखने लगते थे और उनसे कहते थे कि चलो चलो ।लेकिन यदि कोई ठेकेदार आ जाता था तो पूरे दिन उसे वल्लभ भवन (Vallabh Bhavan) में बिठाया जाता था और उसे डीली की जाती थी।

कमलनाथ सुबह खाली बोरा लेकर आते थे और शाम को नोट भरकर उसे सिलकर कर ले जाते थे। इसलिए कमलनाथ कमलनाथ नहीं बल्कि बोरा नाथ हो गए थे ।’शिवराज ने तंज कसते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार ने वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया था ।वे ना कभी खेत में गए ना खलिहान में और कई बार जब उनसे खुद शिवराज ने कहा कि उनको बाहर निकलकर जनता का हाल जानना चाहिए तो उन्होंने साफ मना कर दिया। शिवराज ने व्यंग करते हुए कहा कि तेरी भोली भोली सूरत को किसी की नजर ना लगे की तर्ज पर कमलनाथ कहीं जाते ही नहीं थे। हर नौजवान को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा करने वाले कमलनाथ ने युवाओं को रोजगारी का सपना भी दिखाया तो ढोर चराने और बैंड बजाने के रोजगार के रूप में और इसीलिए युवाओं ने खुद कमलनाथ का ही बैंड बजा डाला।

शिवराज ने बिना नाम लिए दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) पर तंज कसते हुए कहा कि बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह ।उनके बेटे तो मंत्री बन गए लेकिन ऐन्दल सिंह कंसाना जैसे सीनियर लोगों को मंत्री नहीं बनाया गया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, मुख्यमंत्री कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और युवाओं के नेता नकुल नाथ तो फिर क्या बाकी कांग्रेस अनाथ। शिवराज ने जनता की उपेक्षा के कारण सिंधिया समर्थक विधायकों के कदम को सही बताते हुए कहा कि जनता के हित में लिया गया निर्णय मध्य प्रदेश की तस्वीर बदलने वाला साबित होगा।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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