मुरैना, संजय दीक्षित। मुरैना जिले के नर्सिंग कॉलेजों की प्रायोगिक परीक्षा किस तरह से होती है। यह नजारा जिला अस्पताल में शुक्रवार को देखने को मिला। जहां काफी संख्या में छात्र-छात्राएं मोबाइल से देखकर प्रायोगिक परीक्षा दे रहे थे। कई छात्र तो गूगल पर सर्च करने के बाद सवालों के जवाब तलाश रहे थे। बता दें कि नर्सिंग के छात्र- छात्राओं की जिला अस्पताल में प्रायोगिक परीक्षाएं चल रही हैं। उसमें परीक्षार्थी मोबाइल से नकल कर रहे थे।
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वहीं परीक्षार्थियों से बात करने से पता चला कि जिले में कई नर्सिंग कॉलेज में कागज संचालित किए जा रहे हैं, जिन्हें कोई देखना वाला नहीं हैं। छात्र छात्राओं से बातचीत की तो कुछ तो ऐसे थे, जिनको अपने कॉलेज का नाम तक नहीं पता था और अधिकांश ऐसे थे, जिनको यह नहीं पता था कि उनका जिस कॉलेज में प्रवेश है, उसकी बिल्डिंग कहां पर स्थित है। जिले में दर्जनों नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं। लेकिन बिल्डिंग मुश्किल से आधा दर्जन कॉलेजों के पास ही है, अन्य कॉलेज कागजों में संचालित किए जा रहे हैं।
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इन्ही कॉलेजों के छात्र छात्राओं की प्रायोगिक परीक्षाएं जिला अस्पताल में चल रही हैं। शुक्रवार को अस्पताल परिसर में छात्र छात्राओं को जहां जगह मिली, वहीं पर बैठ गए और मोबाइल से कॉपी में लिखते नजर आए। विडंबना इस बात की है कि सागर यूनिवर्सिटी से जो स्टाफ आया था, उसकी मिली भगत से ही सबकुछ हो रहा था। जब स्टाफ से पूछा तो उन्होंने बताया कि पहले कक्ष में मरीजों से चर्चा करते समय मोबाइल में नोट करते हैं, बाद में मोबाइल से कॉपी पर लिख रहे हैं। जबकि अस्पताल से बाहर पीछे मंदिर व नई बिल्डिंग के पास कई परीक्षार्थी मोबाइल से नकल करते देखे गए।
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नर्सिंग की परीक्षा देने वाले अधिकांश परीक्षार्थी बिहार, झारखंड सहित अन्य प्रांत के रहने वाले थे। उनसे जब पूछा गया कि बिहार व झारखंड से कितने लोग परीक्षा देने आए हैं तो उन्होंने कहा कि कोई गिनती नही हैं। कॉलेज संचालकों का कुछ दलाल टाइप के लोगों से संपर्क रहता है। वहीं उनका एडमीशन करवाते हैं। छात्रों ने बताया कि उनसे दो से ढाई लाख रुपए लिए हैं। जबकि बताया गया है कि नर्सिंग की फीस मुश्किल से तीस हजार रुपए तक ही है।