रामेश्वरम से ट्रक चला कर अयोध्या जा रही राजलक्ष्मी पहुंची मुरैना, हुआ भव्य स्वागत

Gaurav Sharma
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मुरैना,संजय दीक्षित। रामेश्वरम से राम जन्मभूमि अयोध्या तक 4 हजार 552 किलोमीटर तक खुद ट्रक चला कर जा रही राजलक्ष्मी मुरैना हाउसिंग बोर्ड स्थित शहीद संग्रहालय पर पहुंची। वहां उनका संत समाज परिषद व अन्य समाजसेवियों ने भव्य स्वागत किया और सभी लोगों के भोजन की व्यवस्था भी की। ज्ञात रहे कि लीगल राइट्स काउंसिल ऑफ इंडिया की नेशनल जनरल सेक्रेट्री राजलक्ष्मी मंदा ने अपनी राम रथ यात्रा 17 सितंबर को शुरू की थी और गुरुवार को वह खुद ट्रक चला कर मुरैना पहुंची ।जहां उनका सभी लोगों ने भव्य स्वागत किया।

राजलक्ष्मी मुरैना से राजस्थान होती हुई 7 अक्टूबर को राम जन्मभूमि अयोध्या पहुंचेंगी। इस राम रथ यात्रा में 613 किलो का पीतल का घंटा और चांदी की मूर्तियों से बना राम दरबार रामेश्वरम से अयोध्या के लिए ले जाया जा रहा है। इस यात्रा में देश भर के लीगल काउंसल के करीब 12 सदस्य शामिल हुए हैं। स्वागत के दौरान राजलक्ष्मी मंदा ने चर्चा में कहा कि हिंदू सभ्यता व संस्कृति सबसे महान है। अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर के लिए तैयार इस बेल को हम हिंदू समुदाय की आस्था के रूप में समर्पित करेंगे ।21 दिन में 10 राज्यों से होते हुए करीब 4552 किलोमीटर का सफर करते हुए 7 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचेंगे और विधि विधान से 613 किलोग्राम के घंटे को रामलला के दरबार में चढ़ाया जाएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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