MP Election : मध्य प्रदेश में 17 नवंबर के दिन विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में आचार संहिता भी चुनाव की तारीख का ऐलान करने के बाद लागू कर दी गई थी। तभी से प्रचार प्रसार पर भी रोक लगा दी गई। ऐसे में उम्मीदवार सोशल मीडिया पर भी सीधे प्रचार प्रसार नहीं कर सकते हैं। लेकिन इस मामले को लेकर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके मुताबिक अब सोशल मीडिया और वेबसाइट पर भारत निर्वाचन आयोग की अनुमति लेना अनिवार्य होगी।
प्रचार प्रसार से पहले लेकिन होगी आयोग की अनुमति
आयोग के मुताबिक टीवी, रेडियो की तरह ही सोशल मीडिया पर अन्य वेबसाइट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में शामिल होती है। ऐसे में चुनाव प्रचार को कानूनी रूप में रेगुलेट करना आयोग का अधिकार होता है। इस वजह से सभी उम्मीदवारों और प्रत्याशियों से कहा गया है कि वह बिना अनुमति के सोशल मीडिया पर अन्य वेबसाइट्स पर बिना अनुमति लिए प्रचार प्रसार नहीं कर सकेंगे। हालांकि खुद के ब्लॉग और वेबसाइट के लिए अनुमति नहीं लेनी होगी लेकिन विज्ञापन के लिए अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है।
एमसीएमसी द्वारा दी जाएगी अनुमति
अनुमति सर्टिफिकेशन ऑफ मॉनिटरिंग कमेटी यानी एमसीएमसी द्वारा प्रत्याशियों को दी जाएगी। उसके बाद ही वह मसलन एक्स, फेसबुक, यूट्यूब, विकिपीडिया और एप्स पर कोई भी विज्ञापन दे सकेंगे। अगर प्रत्याशी अनुमति लेना चाहते हैं तो उन्हें निर्धारित नियमों के तहत प्रारूप में ही आवेदन देना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल होगा प्रचार प्रसार के खर्चे
हालांकि आयोग द्वारा संबंधित प्रत्याशी के खाते से चुनाव के प्रचार प्रसार का खर्चा जोड़ा जाएगा। इसका मतलब ये है कि प्रचार प्रसार के लिए जो भी विज्ञापन प्रत्याशी द्वारा दिया जाएगा उसका खर्च राजनैतिक दल और प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल रहेगा। खास बात ये है कि जो लोग सोशल मीडिया अकाउंट और वेबसाइट संचालित करने का काम करते हैं उन टीमों का खर्च भी चुनावी खर्चे में शामिल किया जाएगा।