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Sat, Dec 20, 2025

MP Tourism: मध्यप्रदेश के इस मंदिर में आज भी चौसर खेलते है भगवान शिव और माता पार्वती, जानिए इसका रहस्य

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
MP Tourism: मध्यप्रदेश के इस मंदिर में आज भी चौसर खेलते है भगवान शिव और माता पार्वती, जानिए इसका रहस्य

MP Tourism : भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग देशभर में काफी प्रसिद्ध हैं। जिनमें से दो ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में स्थित है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भी इनमें से एक है तो वहीं, ओंकारेश्वर मंदिर दूसरा ज्योतिर्लिंग है जो कि नर्मदा नदी के किनारे ओमकार पर्वत पर स्थित है। बता दें कि यह हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है और इसे दुनिया के अनेक धर्मांतरों वाले लोग भी दर्शन करते हैं। सावन के महीने में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। इसके अलावा, इस मंदिर का एक बड़ा रहस्य भी है। आइए विस्तार से जानें…

ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य

इस मंदिर में एक बड़ा रहस्य छूपा हुआ है। दरअसल, प्राचीन काल से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव आज भी यहां माता पार्वती के साथ रात्रि विश्राम करने आते हैं। इस दौरान वो चौसर भी खेलते हैं। इसलिए मंदिर में सांयकाल संजा आरती के बाद चौपड़ बिछाई जाती है जो कि सुबह में बिखरे मिलते हैं। यहां का रहस्य यह कि है रात्रि के समय एक परिंदा भी पर नहीं मार पाता है। यह रहस्य इस मंदिर को खास विषेशता मानी जाती है। इसलिए शाम की आरती करने के बाद उनके शयनकक्ष को साफ-सुथरा कर दिया जाता है। जिसके बाद वहां किसी का भी जाना वर्जित होता है।

ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास

इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कुछ लोगों के अनुसार, इस मंदिर को पांच हजार वर्ष पहले बनाया गया था। यह मंदिर भगवान शिव के आराधना के लिए बनाया गया था और यहां शिव की त्रिमूर्ति का दर्शन करने आने वाले भक्तों को शांति और सुख देता है। इस मंदिर में ज्योतिर्लिंग होने के कारण यहां शिवभक्तों की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर में संसार के सभी धर्मों के लोग आकर अपनी अनुभूति का आभास करते हैं। मंदिर का शैली वास्तुकला प्रदेश की धार्मिक परंपराओं को दर्शाता है। यह मंदिर अपने अद्भुत स्थानीय वास्तुशिल्प के लिए भी जाना जाता है।

भक्तों को मिलता है शांतिपूर्ण वातावरण

ओंकारेश्वर मंदिर के भीतर एक बड़ा शिवलिंग स्थापित है जिसे शिव के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर का विस्तृत सम्पदा एवं पर्यटन का विकास के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने प्रयास किए हैं। ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और इसकी धूम्रपान, घंटों और धमाकों के साथ भस्म आरती भी की जाती है। यहां सालों भर भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। दर्शनार्थी शिव की भक्ति करते हुए शिव का ध्यान करते हुए शांति की अनुभूति करते हैं। यहां भक्तों को एक शांतिपूर्ण वातावरण मिलता है। इस मंदिर में विभिन्न प्रकार की पूजाएं और अनुष्ठान होते हैं जिन्हें शिव भक्त बड़े श्रद्धापूर्वक करते हैं।

लाखों भक्त पहुंचते हैं यहां

धार्मिक विश्वास के अनुसार, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के अभिवादन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और अपने जीवन के अलग-अलग कार्यों की सफलता के लिए उनसे आशीर्वाद प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर को देखने के लिए हर साल लाखों टूरिस्ट यहां आते हैं और इस मंदिर का दर्शन करने से उन्हें आशीर्वाद और शांति की अनुभूति होती है। स स्थान पर स्नान करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं और उन्हें शिवलोक की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यहां पर मां नर्मदा की धारा से निकले जल को पीने से भी लोगों को बहुत शुभ फल मिलते हैं। इसी कारण से ओंकारेश्वर मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)