नीमच : फौजी के स्वागत में ग्रामीणों ने कालीन के जगह बिछा दी अपनी हथेलियां, देखें वीडियो

Gaurav Sharma
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नीमच, डेस्क रिपोर्ट। देश के लिए अपने जीवन की परवाह नहीं करने वाले फौजी (Soldiers) की इज्जत हर नागरिक के दिल में होती है। सैनिक (Soldiers) की वजह से ही आम नागरिक (Common Man) अपने घरों में चैन से सो पाता है। एक सैनिक ही होता है जो बटुए में तो अपना परिवार लेकर घूमता है लेकिन उसका दिल देश के नाम से धड़कता है। सैनिक के लिए देश प्रेम (Love For Nation) अपने परिवार के लिए प्रेम से कई ज्यादा ऊपर होता है।

हथेलियां बिछा कर किया फौजी का स्वागत

एक सैनिक आम जनों से कई ज्यादा स्पेशल होता है और लोगों के मन में एक फौजी (Soldier) के लिए किस हद तक इज्जत (Respect) होती है इसका लाइव उदाहरण नीमच (Neemuch) से देखने को मिला है, जहां ग्रामीणों (Villagers) द्वारा एक फौजी का अनूठे तरीके से स्वागत (Welcome) किया गया। 17 साल की भारतीय फौज (Indian Army) में सेवा पूरी करने के बाद नीमच के जीरन गांव लौटे फौजी विजय बहादुर सिंह का गांव वासियों ने एक अनूठे तरीके से स्वागत किया। फौजी रिटायर होने के बाद जीरन गांव के प्राचीन गणेश मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। गांव वालों ने उनके स्वागत के लिए कालीन की जगह अपनी हथेलियां बिछा दी और उनका फूल मालाओं के साथ स्वागत किया।

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पिता का हुआ गर्व से सीना चौड़ा

गौरतलब है कि नीमच जिले के जीरन गांव से कुल 60 लोग भारतीय सेना में नौकरी कर देश की सेवा कर रहे हैं। जिनमें से एक विजय बहादुर सिंह भी है, जो कि 17 साल नौकरी करने के बाद रिटायर होकर वापस गांव लौटे हैं। वही फौजी विजय बहादुर सिंह के लिए ग्रामीणों के इस प्यार को देखकर फौजी के पिता लाल सिंह अभिभूत हो गए। उनका कहना है कि इंडियन आर्मी में सेवा करना ही अपने आप में बहुत ही गर्व की बात है। जिस तरह से गांव वालों ने उनके बेटे का स्वागत किया है उसने उनका सीना और भी चौड़ा कर दिया है।

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युवाओं के साथ करेंगे अपना अनुभव साझा

बता दें कि नीमच के फौजी विजय बहादुर सिंह ने 17 साल 26 दिन देश की सेवा की है। ड्यूटी के दौरान फौजी विजय बहादुर सिंह कारगिल, सियाचिन ग्लेशियर, जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, शिमला और जयपुर में तैनात रह चुके हैं। वही जब विजय बहादुर से रिटायरमेंट के बाद के प्लान पूछे गए तो उनका कहना है कि अभी उन्होंने कुछ भी प्लान नहीं किया है। वे कहते हैं कि वह युवाओं को फौज में जाने के लिए प्रेरित करेंगे और उन्हें प्रारंभिक ट्रेनिंग देंगे। इसके साथ ही वह उनसे अपना अनुभव भी साझा करेंगे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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