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Wed, Dec 17, 2025

आजादी के दशकों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण, खोखले साबित हो रहे प्रशासन के दावे

Written by:Amit Sengar
Published:
अगर गांव का कोई भी व्यक्ति संबंधित पंचायत जनप्रतिनिधि द्वारा कार्य नहीं किए जाने पर शिकायत करता हे तो उसको शिकायत उठाने पर दबाव बनाया जाता है। ऐसे में आज भी यहां के ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
आजादी के दशकों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण, खोखले साबित हो रहे प्रशासन के दावे

Neemuch News : एकतरफ देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। वहीं आज भी नीमच जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के वाशिंदे समस्याओं से जकड़े हुए हैं। यहां आज तक मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच सकी हैं। यह मामला मध्य प्रदेश के नीमच जिले की जावद तहसील का है। जहाँ मेघपुरा गांव के लोग विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं।

बता दें कि तहसील मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर ग्राम पंचायत गुजरखेड़ी सांखला के अंतर्गत मेघपुरा गांव के 900 करीब मतदाता ओर 1500 की आबादी में रहने वाले लोग वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हें सुलभ जीवनयापन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें मताधिकार तो मिला है लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वालों तक सीमित है। चुनाव जीतने के बाद सरपंच से लेकर विधायक-सांसदों को इस गांव की बेहतरी के लिए समय नहीं मिला। ये हालात यकायक नहीं बने, बल्कि आजादी के बाद से ही उपेक्षा का दंश इस गांव के लोग भोगते आ रहे हैं।

गांव में न तो सीसी सड़क है ना स्ट्रीट लाइट और ना नालियां

ग्रामीणों के अनुसार इस गांव में न तो सीसी सड़क है ना स्ट्रीट लाइट और ना नालियां ,सरकारी योजना संचालित है लेकिन बहुत कम लोगों को इसका लाभ मिल पा रहा है गांव में अभी तक पानी निकाली के लिए नालिया तक नहीं बनी बीच रास्ते में ही घरों का पानी निकल रहा है और रात दिन बदबू मार रहा ।उनके अनुसार देश की आजादी को भले ही 75 साल से अधिक का वक्त हो गया हो लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला है।उनका कहना है कि मप्र सरकार द्वारा दर्जनों योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। ग्राम विकास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इसका लाभ भी मेघपुरा के लोगों को नहीं मिला है।

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ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर

ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों से लेकर जनपद तक के जिम्मेदारों को यहां के हालातों के बारे में पता है। इसे लेकर कई बार शिकायतें की गईं, राहत मांगी गई लेकिन हुआ गया, कुछ नहीं। प्रशासनिक अधिकारी समस्याओं पर तमाशबीन बने हुए हैं। जनप्रतिनिधियों की तरह अधिकारी भी सिवाय कोरी घोषणाएं करने के अलावा कोई राहत नहीं दे सके हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अगर गांव का कोई भी व्यक्ति संबंधित पंचायत जनप्रतिनिधि द्वारा कार्य नहीं किए जाने पर शिकायत करता हे तो उसको शिकायत उठाने पर दबाव बनाया जाता है। ऐसे में आज भी यहां के ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट