Nepotism in medical college: भारत के प्रधानमंत्री मोदी भी अक्सर परिवारवाद और भाई भतीजावाद का खिलाफ अनेकों मंचों से विरोध प्रकट करते दिखाई देते हैं। लेकिन Nepotism है कि खत्म होता ही नहीं।
परिवारवाद का एक ऐसा ही मामला अभी हाल फिलहाल में दतिया के मेडिकल कॉलेज में सामने आया है जहां शिकायतकर्ता ने दतिया मेडिकल कॉलेज के डीन दिनेश उदेनिया पर भाई भतीजावाद और वॉक इन इंटरव्यू के तहत जारी की गई सीनियर रेजिडेंट की पोस्ट में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल 17 जनवरी 2024 को दतिया मेडिकल कॉलेज में डेंटल ब्रांच के लिए सीनियर रेजिडेंट की पोस्ट पर वॉक इन इंटरव्यू की घोषणा की गई। यह इंटरव्यू 23 जनवरी को आयोजित किए जाने थे लेकिन किन्हीं कारणों से इन्हें एक दिन लेट किया गया। इस इंटरव्यू में कुल 7 लोगों ने अपनी उम्मीदवारी रखी जिनमें से एक की उम्मीदवारी अधिक उम्र की वजह से निरस्त कर दी गई।
शिकायतकर्ता आशीष कुशवाह ने बताया कि जिस दिन उम्मीदवारी के लिए हस्ताक्षर किए जाने थे उसे दिन में सबसे आखरी में जाकर हस्ताक्षर करके आया था। मेरे हस्ताक्षर निर्धारित समय से मात्र 5 मिनट पहले हुए थे और इसके बाद आवेदन की अवधि समाप्त हो गई थी।
लेकिन जब हम अगले दिन इंटरव्यू के लिए पहुंचे तब हमें वहां एक नई कैंडिडेट दिखी जिसने अपना नाम हिमालिया बताया। अचरज की बात यह थी कि उसने इस दौरान हुई पूरी चर्चा में कभी भी अपना पूरा नाम नहीं बताया था। हम सभी ने निर्धारित पोस्ट के लिए आयोजित इंटरव्यू में भाग लिया और अपने स्तर पर बेहतर तरीके से इंटरव्यू दिए।
मैं अपने सिलेक्शन को लेकर इसलिए आत्मविश्वास से भरा था क्योंकि सिलेक्शन के लिए जितने भी मायने निर्धारित किए गए मेरी योग्यता उनसे कई ऊपर थी।
शिकायतकर्ता आशीष कुशवाह बताया कि हम पिछले डेढ़ साल से इस सीट का इंतजार कर रहे थे। मेरा इंटरव्यू मेरे कागज काफी बेहतर थे और इसलिए मेरा आत्मविश्वास भी काफी ऊपर था।
अशीष ने बताया कि यह पोस्ट एक अस्थाई पोस्ट है लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर की परमानेंट पोस्ट की नियुक्ति के लिए यह एक अनिवार्य क्राइटेरिया है और इसके लिए हम पिछले लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।
लेकिन जब इस इंटरव्यू का रिजल्ट आया तो मैं काफी आश्चर्यचकित था कि कैसे अनुभव के ऊपर रिश्तेदारी को प्राथमिकता दी गई। इस मामले में मैं दतिया मेडिकल कॉलेज में आरटीआई लगाकर सभी दस्तावेजों की मांग भी प्रशासन के सामने रखी है।
डीन का यह है कहना
हालांकि इन आरोपों को लेकर डीन उदेनिया का कहना है कि इंटरव्यू की प्रक्रिया और चयन शासन के नियम अनुसार किया गया है इसमें किसी भी तरह का पक्षपात नहीं किया गया है। हिमलिया उदेनिया के सिलेक्शन की बात करते हुए और अशीष के फ्रेशर के सिलेक्शन के आरोप पर डीन ने बताया की यह पोस्ट फ्रेशर के लिए होती है।
डीन के बयान पर अशीष के सवाल
डीन के इस जवाब पर आशीष का कहना है कि यदि यह पोस्ट फ्रेशर के लिए ही होती है तो इसके लिए 5 साल का क्राइटेरिया क्यों रखा गया है? क्यों इस पोस्ट के लिए कैंडिडेट 5 साल तक एलिजिबल रहता है? क्या डीन ने पिछले डेढ़ साल से यह पोस्ट इसलिए नहीं निकाली थी कि वह अपनी रिश्तेदार की डिग्री पूरी होने का इंतजार कर रहे थे? क्यों मात्र एक-दो महीने पहले डिग्री पूर्ण करने वाले रिश्तेदार को 4 साल से ज्यादा अनुभव वाले अभ्यर्थी के ऊपर प्राथमिकता दी गई? क्यों सिलेक्शन हुए अभ्यर्थी का नाम घोषित रिजल्ट में पूरा नहीं लिखा गया जबकि बाकी सभी का नाम सरनेम सहित लिखा गया है? इतना ही नहीं आशीष ने यह भी कहा कि भारत की बड़ी परीक्षाओं में भी जब कई बार समान अंक आने पर सिलेक्शन के लिए उम्र को तवज्जो दी जाती है क्योंकि यह उसका आखरी प्रयास है तो हमें क्यों नहीं?
इन सवालों को पूछते हुए अशीष ने यह भी जानकारी दी कि जब पूर्व में दतिया मेडिकल कॉलेज में ही डेंटल डिपार्टमेंट में सीनियर रेसिडेंट (2019- डॉ पुष्कर) और जूनियर रेसिडेंट (2023- डॉ अजय उपाध्याय) को अनुभव और योग्यता को अधिक प्राथमिकता दी गई थी तो यह मापदंड 2024 में कही भी क्यों नहीं दिखाया गया?
हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं जब मेडिकल कॉलेज में भाई भतीजावाद के आरोप या मामले सामने आए हैं। इससे पहले गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डेंटल डिपार्टमेंट में भी एचओडी के बेटे को और एक अन्य एचओडी की पत्नी को डेंटल ब्रांच में सीनियर रेजिडेंट पोस्ट के लिए प्राथमिकता दी जा चुकी है।