government medical colleges: प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आयुष्मान भारत योजना के इंसेंटिव की नई पॉलिसी के अनुसार, अब डीन और अधीक्षक नोडल अधिकारी नहीं बन सकेंगे और इंसेंटिव में कटौती भी होगी। नोडल अधिकारियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नई निर्देश बनाए गए हैं जो इंसेंटिव के वितरण को न्यायपूर्ण बनाने का लक्ष्य रखते हैं। इसके साथ ही, विभिन्न चिकित्सा टीमों को भी अधिक इंसेंटिव प्रदान किया जाएगा, जो आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बीमारियों का इलाज करेंगी।
नई पॉलिसी के अनुसार:
नोडल अधिकारियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अब अधीक्षक, डीन, ज्वाइंट डायरेक्ट नोडल अधिकारी नहीं बन सकेंगे। इंसेंटिव में कटौती के साथ, नोडल अधिकारियों की संख्या को निर्धारित किया गया है। आपको बता दें अभी तक नोडल अधिकारी 30-30 लाख रुपए का इंसेंटिव ले रहे थे। लेकिन इस नई पालिसी के चलते अब उनके इंसेंटिव में कटौती की जाएगी।
इंसेंटिव वितरण की नई व्यवस्था:
जानकारी के अनुसार आयुष्मान भारत योजना के तहत इंसेंटिव में कटौती करने के लिए नोडल अधिकारियों की संख्या को निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही, टीमों को अलग-अलग इंसेंटिव प्रदान किया जाएगा जो आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बीमारियों का इलाज करेंगी। दरअसल पिछले दिनों जबलपुर और ग्वालियर में हुए डीन और अधीक्षक के नोडल अधिकारी बनने को लेकर भी विवाद बढ़ गए थे जिसके बाद यह मुद्दा भोपाल एक पहुँच गया था।
इंसेंटिव प्रदान करने के लिए नई निर्देश:
-सर्जरी केस में सर्जिकल टीम को 10 प्रतिशत इंसेंटिव मिलेगा।
-नर्सिंग स्टॉफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी इंसेंटिव प्रदान किया जाएगा।
-आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों के इलाज के लिए खरीदी में से 50 प्रतिशत मेडिकल कॉर्पोरेशन से खरीदना होगा।
-ब्लड, सोनोग्राफी, एक्स-रे जैसी अन्य जांच करने वाली टीम को साढ़े तीन प्रतिशत राशि मिलेगी।
नई पॉलिसी के माध्यम से सरकार ने इंसेंटिव के वितरण को स्तरित करके और न्यायपूर्ण बनाया है, जिससे चिकित्सकों और स्वास्थ्य स्टाफ को एक बडा न्याय मिलेगा।