Transfer 2024 : अधिकारियों कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, 15 अगस्त के बाद हटेगा तबादलों से प्रतिबंध! होगी बड़ी प्रशासनिक सर्जरी

पिछली ट्रांसफर पॉलिसी में विभागों के प्रमुख के ट्रांसफर सीएम की अनुमति जरूरी थी, सीएम के अनुमोदन के बाद विभाग आदेश जारी करता था, ऐसे में इस बार भी मुख्यमंत्री के हिसाब से प्रशासनिक जमावट होने की अटकलें है।

Pooja Khodani
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Transfer in Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों और पुलिसकर्मियों का तबादलों को लेकर जल्द इंतजार खत्म होने वाला है। खबर है कि प्रदेश में छह माह से लगा तबादलों पर प्रतिबंध अगस्त में हट सकता है। पहले खबर आई थी कि 15 जुलाई के बाद तबादलों से बैन हटेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ, अब चर्चा है कि 15 अगस्त के बाद राज्य की मोहन यादव सरकार तबादलों से प्रतिबंध हटा सकती है।हालांकि यह कितने दिनों के लिए हटेगा अभी तय नहीं है।

अगस्त में हटेगा तबादलों से प्रतिबंध

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार ने नई ट्रांसफर पॉलिसी तैयार कर ली है और अगस्त में इसे कैबिनेट में लाकर मंजूरी दी जा सकती है। तबादलों से बैन हटने के बाद एक निश्चित अवधि में थोकबंद प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले किए जाएंगे लेकिन किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे। चर्चा तो ये भी है कि कई जिलों के कलेक्टर और एसपी कमिश्नर को इधर से उधर किया जा सकता है।नई तबादला नीति में गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जा सकती है।

मंत्रियों को मिलेगा प्रभार, प्रशासनिक सर्जरी भी जल्द

पिछली सरकार में 15 से 30 जून तक ट्रांसफर पॉलिसी लागू की गई थी और जिलों के अंदर प्रभारी मंत्रियों और जिलों के बाहर मंत्रियों की अनुमति के अनुसार तबादले किए गए थे लेकिन अभी तक मंत्रियों को प्रभार नहीं दिए गए हैं, ऐसे में अटकलें हैं कि अगस्त माह में एक बार और मोहन कैबिनेट का विस्तार होने के साथ मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिया जा सकता है। इसके बाद तबादलों का दौर शुरू हो सकता है। चुंकी पिछली ट्रांसफर पॉलिसी में विभागों के प्रमुख के ट्रांसफर सीएम की अनुमति जरूरी थी। वही प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी के अधिकारी और कर्मचारियों के ट्रांसफर सीएम के अनुमोदन के बाद विभाग जारी करता था, ऐसे में इस बार भी मुख्यमंत्री के हिसाब से प्रशासनिक जमावट होने की अटकलें है।

चुनाव के चलते लग गया था तबादलों पर प्रतिबंध

गौरतलब है कि राज्य सरकार आमतौर पर प्रतिवर्ष मई-जून में तबादलों से बैन हटाती है। इसमें अधिकतम 20% तबादले करने का अधिकार विभागीय मंत्रियों को दिया जाता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के लिए कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तबादलों पर बैन लग गया था। इसके चलते राज्य सरकार चुनाव कार्य में संलग्न 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर, कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक समेत कई संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले चुनाव आयोग की अनुमति के बाद नहीं कर सकती थी हालांकि इस अवधि में केवल उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले हुए जो प्रशासकीय दृष्टि से बहुत जरूरी थे, ऐसे में अब तबादलों से बैन हटने के बाद कलेक्टर, एसपी और मुख्यालयों में बैठे अधिकारियों के तबादले हो सकेंगे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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