भोपाल ,डेस्क रिपोर्ट । देश में नागरिकों के साथ-साथ अब पशुओं (Animals) के भी आधार कार्ड (Aadhar card) जरूरी हो गए हैं। जिसके तहत अब गाड़ियों की तरह पशुओं की भी सेल परचेस होगी। जिसके तहत अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी गाय और भैंस के बाद बकरी , सुअर, भेड़ के आधार कार्ड बनने के निर्देश जारी हुए हैं। कुक्कुट विकास निगम (Poultry Development Corporation) ने सभी कर्मचारियों को छोटे पशुओं पर टैग लगाने के निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि , प्रशासन के इस निर्देश का कर्मचारियों ने विरोध चालू कर दिया है। उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सुअर, बकरियों का धर्म विशेष (Religious) से जुड़े होने की वजह से आधार कार्ड के लिए कान में टैग लगाने से को लेकर विवाद की स्थिति पैदा होगी।
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दरअसल ,एनएडीसीपी (NADCP) में पहले भेड़ और बकरी को शामिल नहीं किया गया था। सिर्फ गाय और भैंस को ही एनएडीसीपी के तहत इलाज की सुविधाएं दी कराई जा रहीं थीं। जिसके बाद केंद्र सरकार (central government) ने एनएडीसीपी में भेड़ और बकरी को भी शामिल करने के निर्देश दिए है। एक-एक भेड़ और बकरी का रिकार्ड एनएडीसीपी के पोर्टल (Portal) पर दर्ज रहेगा। भेड़-बकरी के आयु और मालिक का नाम और पता भी ऑनलाइन रहेगा। भेड़-बकरी को 12 डिजिट का आधार नंबर का टैग कान में पहनाया जाएगा। भेड़-बकरियों का बीमा की सुविधा मिल सकेगी। हालांकि कि 2 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक यह काम 85 फीसदी ही पूरा हो पाया है।
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ये है कर्मचारियों कि विरोध की वजह
गाय ,भैंस के बाद सुअर, बकरियों के आधार कार्ड बनाए जाने के आदेश पर पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) के कर्मचारियों ने साफ इंकार किया है। उनका कहना है कि निर्देश के साथ ही पशुपालन विभाग के कर्मचारियों ने इसे करने से साफ इनकार कर दिया है। पशु मालिकों का कहना है कि सुअर को पकड़कर कान में टैग लगाना नामुमकिन काम है। सुअर पालकों को ही सुअर को पकड़ने में पसीना छूट जाता है तो कर्मचारी कैसे उन्हें पकड़ेंगे। वही बकरे, भेड़ और सुअर का कान छेदकर टैग लगाने से धार्मिक मुद्दा भी बनेगा. जिसके बाद पशु डायरेक्टर (Animal director) डॉ आरके रोकड़े मुताबिक अभी तक कोई विरोध की खबर नहीं आई है,अगर आती है तो इसका कोई रास्ता हम निकालेंगे.