vultures will be counted: मध्य प्रदेश में 2016 में पहली बार हुई गिद्धों की गिनती के बाद, अब एक बार फिर गिद्धों की गिनती की जाएगी। जब प्रदेश में 33 जिलों के 900 से ज्यादा स्थानों का चयन किया गया था। आपको बता दें प्रदेशभर में एजिप्सिया, वाइट रम्प्ड, किंग कल्चर, लांग बिल्ड, यूरेशियस, और सिलेंडर बिल्ड गिद्धों की प्रमुख प्रजातियां हैं।
गिद्धों की होगी गिनती:
जानकारी के अनुसार वन विभाग ने इसके लिए कुल 6 स्थानों का चयन किया है जहां गिद्ध पाए जाते हैं, और इस गणना में वनकर्मियों के साथ पर्यावरणविद्या भी शामिल होंगे। सूचना के मुताबिक इस गिनती का आयोजन 16 फरवरी से 18 फरवरी तक किया जाएगा। इस कार्य में इंदौर के वनमंडल में ज्यादातर गिद्ध इजिप्सया प्रजाति के हैं। दरअसल देवगुराड़िया के पास हुई ट्रेंचिंग ग्राउंड के हट जाने से भी गिद्धों की संख्या यहां काफी कम हो गई है।
गिद्धों की कमी के कारण:
गिद्धों का जीवन मृत जानवरों को खाकर चलता है, और खेतों में कीटनाशक के उपयोग के कारण इनकी संख्या में कमी हो रही है। यहां वनकर्मियों ने बताया कि केमिकल खाने के बाद मर जाने वाले जानवरों को गिद्ध खा लेते हैं, जिससे इनकी संख्या में भी कमी हो रही है।