देवी मां को खुश करने के लिए मां बनी कुमाता, चढ़ा दी 24 साल के बेटे की बलि

a mother look life of his 24 years old son

पन्ना, डेस्क रिपोर्ट। देश भर में नवरात्रि का त्यौहार बढ़े धूम धाम से मनाया जा रहा है। देश के कोने-कोने में देवी मां की उपासना की जा रही है।  मां के इस पवित्र त्यौहार के बीच एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें पन्ना जिले में एक अंधविश्वासी महिला ने दुर्मा मां को खुश करने के लिए अपने ही 24 साल के बेटे की बलि चढ़ा दी।

महिला ने कुलहाड़ी से अपने  बेटे के गले पर वार कर कथित रुप से बलि चढ़ा दी।महिला ने इस वारदात को तब अंजाम दिया जब 24 साल का युवक सो रहा था। मामला पन्ना जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र के अंदर आने वाले कोहनी गांव का है। घटना की जानकारी लगते ही पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। साथ ही पुलिस मौके पर घटना स्थल पहुंची।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।