पन्ना, भारत सिंह यादव। पन्ना टाईगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) के बड़े हिस्से को डुबाने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project) के विरोध का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP State President VD Sharma) पन्ना पहुंचे। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने इस परियोजना को पन्ना के लिए घातक बताते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा है। बता दें कि पन्ना राजघराने की राजमाता दिलहर कुमारी सहित भाजपा नेत्री व पूर्व मंत्री कुसुम सिंह महदेले ने भी इस विवादित परियोजना का पुरजोर विरोध किया है।
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परियोजना के विरोध में मुहिम से जुड़े अंकित शर्मा का कहना है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project) से जिले के किसी भी हिस्से को कोई लाभ नहीं मिलेगा। जबकि 427 किमी लंबी केन नदी का अधिकांश भाग जो केन को विशाल बनाता है, जल आपूर्ति वाला यह क्षेत्र पन्ना जिले में ही स्थित है। केन नदी से प्रति वर्ष अरबों रुपए की रेत निकलती है, जो इस परियोजना के मूर्तरूप लेने पर खत्म हो जाएगी। जिससे जिले को भारी भरकम राजस्व की हानि होगी।
जारी है केन-बेतवा लिंक परियोजना का विरोध
कोरोना काल मे पन्ना जिले के लोग केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project) के विरोध में नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। वाहनों में नारे लिखवाकर लोगों को जागरूक करने का भी प्रयास किया जा रहा है। ताकि केन नदी को बचाने के इस अभियान में अधिक से अधिक लोग जुड़ सकें। पन्ना वासियों का कहना है कि केन नदी पर पहला हक उनका है, हमें हमारे हक से वंचित नहीं किया जा सकता। बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) के समय परिवार के साथ जब एकांतवास में पन्ना आए थे, उस समय यहां के युवकों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अनूठे अंदाज में केन-बेतवा परियोजना (Ken-Betwa Link Project) का विरोध किया था।
परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व को खतरा
परियोजना में दौधन बांध पन्ना टाईगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) के कोर एरिया में आता है। जहां बाघ रहते हैं, इसी जगह पर अति दुर्लभ लम्बी चोंच वाले गिद्ध भी रहते हैं। पार्क का यह महत्वपूर्ण हिस्सा डूब में आ जाएगा। बांध निर्माण के बाद पार्क का बफर एरिया निश्चित ही कोर एरिया में परिवर्तित होगा। पन्ना टाईगर रिजर्व के कड़े नियमों व बफर क्षेत्र के कारण जिले के लोगों को मौजूदा समय अनेकों मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं, यदि बांध का निर्माण हुआ और कोर क्षेत्र को विस्तारित किया गया तो पन्नावासियों की मुसीबतें और बढ़ जाएगी। जिससे रोजगार के साधन भी खत्म हो जाएंगे।
क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना
करीब साढ़े 37 हजार करोड़ रुपये वाली की देश की पहली प्रमुख नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन नदी का पानी बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा। जिससे सूखाग्रस्त बुंदेलखंड में पानी के संकट से निजात मिल सकती है। पिछले महीने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच ऐतिहासिक बताए जा रहे हैं। इस समझौते के तहत शुरू होने वाली इस योजना से साढ़े दस लाख से ज्यादा हेक्टेयर में सिंचाई, 60 लाख से अधिक लोगों को पेयजल और 103 मेगावाट बिजली उत्पादन का दावा भी किया गया है। इसके अलावा निर्माण, पर्यटन और मछलीपालन में रोजगार के मौके मिलने की बात भी कही जा रही है।
प्रोजेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक 73.8 मीटर ऊंचे दौधन बांध के जरिए केन बेसिन से 2800 एमसीएम पानी बेतवा के लिए छोड़ा जाएगा। दोनों राज्यों के बीच समझौते के तहत रबी की फसल के मौसम में उत्तर प्रदेश को 75 करोड़ क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी और मध्य प्रदेश को 183.4 करोड़ क्युबिक मीटर पानी मिलेगा। मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि पानी के संकट से जूझते बुंदेलखंड को इस प्रोजेक्ट से विशेष लाभ होगा।