नकली EOW और लोकायुक्त के इस गिरोह में तिलक नगर रीवा का संजय मिश्रा और उसका बेटा आष्कृत पन्ना के रघुराजा उर्फ राहुल गर्ग शामिल थे। गिरोह के सदस्य ऐसे अधिकारियों की लिस्ट तैयार करते जो बड़े बड़े विभागों में अधिकारी पदस्थ होते, इनके निशाने पर प्रमुख रूप से पंचायत विभाग, सहकारिता विभाग, राजस्व विभाग, जलसंसाधन विभाग, खनिज विभाग, बिजली कंपनियों के अधिकारी होते थे। गिरोह के सदस्य किसी अधिकारी की पूरी जानकारी जुटाते और फिर उसके बाद EOW और लोकायुक्त के अधिकारी बनकर इन्हे डराते, इन लोगों द्वारा जबलपुर, सागर, रतलाम, शिवपुरी, गुना, टीकमगढ़, पन्ना, रीवा आदि के अधिकारियों से वसूली कर भी ली थी। बताया जाता है कि अब तक यह गिरोह सरकारी अधिकारियों से करीब दस लाख रुपए की वसूली कर चुका है।
ईओडब्ल्यू अफसर के नाम की रखता था मोबाइल सिम
गिरोह के सदस्य इतने शातिर थे कि वह सामने वाले अधिकारी पर ऐसा प्रभाव जमाते थे कि असल अधिकारी भी इनके नकली होने की पहचान नहीं कर पाते थे, गिरोह के सरगना संजय मिश्रा के पास दर्जनों सिम थीं जिनका वह बदल बदलकर उपयोग करता था। उससे व उसके बेटे से चार मोबाइल के अलावा कई सिम मिली हैं। संजय मिश्रा योजनाबद्ध तरीके से अपने कुछ साथियों को अपना नाम अपने मोबाइल नम्बर संजय मिश्रा की जगह डीपी शर्मा इस्पेक्टर ईओडब्ल्यू लिखवाता था। इससे शासकीय अधिकारी आसानी से उसके झांसे में आ जाते थे क्योंकि ट्रूयू कॉलर में डीपी शर्मा इंस्पेक्टर ईओडब्ल्यू लिखा आता था।
कैसे चढ़ा पुलिस के हत्थे गिरोह
ईओडब्ल्यू रीवा मे जल संसाधन विभाग में पदस्थ जयकिशन द्विवेदी द्वारा शिकायत की गई थी कि संजय मिश्रा ने अपने खाते में 22 सितम्बर 2021 को एक लाख रुपये जमा कराए हैं। जल संसाधन विभाग के सागर स्थित एक कार्यालय के उपयंत्री कालीचरण दुबे से संजय मिश्रा ने ईओडब्ल्यू का सीनियर इंस्पेक्टर डीपी मिश्रा बनकर यूनियन बैंक में 25 हजार रुपए जमा कराने की कोशिश की मगर उन्होंने राशि खाते में नहीं जमा कराई। इसी तरह उचेहरा में पदस्थ रेंजर रामनरेश साकेत द्वारा भी बताया गया कि संजय मिश्रा ने यूनियन बैंक वाले खाते में 50,000 रुपए जमा करने के लिए कहा था लेकिन कालीचरण व रामनरेश ने राशि जमा करने के बजाय ईओडब्न्ल्यू को शिकायत कर दी। इसी शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला रज किया।