भ्रष्ट कर्मचारी को कोर्ट ने सुनाई 4 साल सश्रम कारावास और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा, रिश्वत लेते हुए था गिरफ्तार

शिकायती आवेदन के बाद लोकायुक्त की टीम ने इसकी जाँच की और जाँच में रिश्वत मांगे जाने की बात सही पाई गई उसके बाद 7 अक्टूबर 2024 को ट्रैप कार्यवाही के दौरान लोकायुक्त पुलिस के द्वारा आरोपी को आवेदक से 10,000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया।

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Sagar News : बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के एक तत्कालीन स्टेनोग्राफर को न्यायालय ने चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है, कोर्ट ने भ्रष्ट कर्मचारी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, मामला 2017 का है जब उक्त कर्मचारी को लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था।

विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के तत्कालीन स्टेनोग्राफर अंकित दुबे को तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है साथ ही 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।

मेडिकल बिल स्वीकृत करने के बदले मांगी थी रिश्वत 

लोकायुक्त से मिली जानकारी के मुताबिक 29 सितम्बर 2017 को आवेदक गनेश सिंह राय द्वारा लोकायुक्त कार्यालय सागर में शिकायत की गई कि उन्होंने लीवर ट्रांसप्लांट कराया था जिसके मेडिकल बिल स्वीकृत करवाने के एवज में अंकित दुबे द्वारा 40000 रुपए की मांग की जा रही है।

लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था  

शिकायती आवेदन के बाद लोकायुक्त की टीम ने इसकी जाँच की और जाँच में रिश्वत मांगे जाने की बात सही पाई गई उसके बाद 7 अक्टूबर 2024 को ट्रैप कार्यवाही के दौरान लोकायुक्त पुलिस के द्वारा आरोपी को आवेदक से 10,000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला पंजीबद्ध करने के बाद अभियोग पत्र विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

कोर्ट ने दो अलग अलग धाराओं में सुनाई सश्रम कारावास की सजा 

न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए 26 सितम्बर 2024 को  आरोपी को दोष सिद्ध पाया और धारा 7 पीसी एक्ट में 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000 रुपये के अर्थदंड से एवं धारा 13(1)बी,13(2) पीसी एक्ट में 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹ 10,000 के अर्थदंड से दंडित किया है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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