पन्ना, डेस्क रिपोर्ट। जनप्रतिनिधि का काम है कि वह जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाए और कुछ इस तरह काम करें जिससे जनता के साथ-साथ उसके क्षेत्र का भी विकास हो सके। पर क्या हुआ जब जनप्रतिनिधि को खुद अपनी बात रखने के लिए आवाज उठानी पड़े। ऐसा ही एक मामला सामने आया है पन्ना जिले की पटना तमोली ग्राम पंचायत का जहां सरपंच ने पत्र के माध्यम से उपयंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
सरपंच ने यह पत्र जिला पंचायत सीईओ को लिखा है और उससे पूछा है कि क्या इस देश में ईमानदार होना गलत है? सरपंच ने ग्राम पंचायत उपयंत्री पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए पत्र में लिखा है कि उपयंत्री द्वारा मुझसे काम के एवज में कमीशन मांगा जाता है। जब मैं इस कमीशन का विरोध करता हूं तो मुझसे कहा जाता है कि यह कमीशन हमें ऊपर तक पहुंचाना होता है। अब आप ही बताइए कि ऐसे में मैं ग्राम पंचायत का विकास कैसे करूं?
हैरान करने वाली बात यह है कि सरपंच की इस शिकायत पर अभी भी किसी अधिकारी द्वारा ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। साथ एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल भी पैदा होता है कि जब जनप्रतिनिधि का यह हाल है तो जनता का हाल क्या ही होगा। अगर सरपंच की बात मैं थोड़ी बहुत भी सच्चाई है तो निश्चित ही यह अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जीरो टोलरेंस नीति का उपहास उड़ाने वाली बात है। हालांकि इस मामले में उपयंत्री ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सरपंच द्वारा उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।