SATNA NEWS- सतना में भगवान राम का एक ऐसा अनोखा भक्त है जिसने पिछले कई सालों की तपस्या में राम नाम की किताब ही लिख डाली, इस भक्त ने 13 साल में लिख डाले 84 लाख ”राम नाम”, जिसके लिए 08 हजार 652 पेज का इस्तेमाल किया, और तो और 14 सौ 28 मीटर दुनिया की सबसे लंबी किताब लिख दी, अब उनका संकल्प 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्ण होने वाला है।
भोजनालय चलाने वाला यह रामभक्त
मध्यप्रदेश के सतना शहर में एक ऐसा राम भक्त है जिसने 13 साल में 84 लाख “राम” नाम लिखकर अनोखी पुस्तक तैयार कर दी है, पेशे से एक छोटा सा भोजनालय चलाने वाले शख्स राकेश साहू ने वर्ष 2005 एकादशी के दिन राम नाम लिखना शुरू किया था, राम भक्त राकेश साहू रोजाना इस काम को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया, राकेश बताते है कि भोजनालय के काम मे व्यस्त रहने के बावजूद प्रभु राम की कृपा से समय निकल ही आता था और वे राम नाम लिखने में लीन हो जाते थे, 13 साल तक लिखते रहे जब तक 84 लाख शब्द नहीं नही हो गए, राकेश साहू जी ने 84 लाख राम नाम लिखने में 08 हजार 06 सौ 52 कागज के पेज का इस्तेमाल किया, जिसकी कुल लंबाई 1428 मीटर है, जिसका कुल वजन 65 सौ किलो है, 84 लाख राम नाम लिखने के पीछे वो चौरासी योनि के साथ अन्य कई धार्मिक और वैज्ञानिक तर्क देते है।
लिया संकल्प
भगवान राम के परम भक्त राकेश साहू ने राम नाम लिखने के पीछे वैसे तो कई संकल्प बताते है लेकिन एक खास संकल्प भी था कि भगवान राम का मंदिर जल्द बने और मंदिर में रामलला विराजमान हो, जो अब 22 जनवरी को पूरा हो रहा है, राम भक्त राकेश बताते है कि राम नाम लेखन से उनका जीवन संवरा है, व्यवसाय में तरक्की हुई है, समाज मे मान प्रतिष्ठा बनी है, इस कार्य से राकेश सतना ही नही आसपास के कई जिले में मशहूर हो गये, सरकारी गैरसरकारी संस्थाएं समाजसेवी संस्थाओ ने राकेश साहू को सम्मानित किया और प्रमाण पत्र भी दिया, यहां तक कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राकेश साहू को मंच पर बुलाकर देश दुनिया के सामने सम्मानित किया था।
गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो सकता है नाम
अब राम नाम लेखन की वजह से राकेश और उनका कार्य गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज होने वाला है, केवल राम नाम लिखने से उन्हें इतना सब कुछ मिल रहा है, नतीजतन रामभक्त राकेश साहू अपने संकल्प को आगे बढ़ते हुए अपने जीवन पर्यंत राम नाम लिखने की घोषणा कर दी है, रामभक्त राकेश चाहते है कि सरकार और स्थानीय एजेंसी उनके किये गए इस अनोखे कार्य को किसी पर्यटन स्थल पर स्थापित करके अमर कर दे।
सतना से मोहम्मद फारूख की रिपोर्ट