सीहोर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनाई महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती

सीहोर, अनुराग शर्मा। देश भर में आज राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई जा रही है। देश का हर नागरिक आज इन महान पुरुषों को याद कर इन्हें श्रद्धांजलि आर्पित कर रहा है। मध्यप्रदेश के हर जिले में आज महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद कर श्रद्धांजलि दी जा रही है। इसी कड़ी में सीहोर में भी आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेय चौक पर भाजपा मंडल अध्यक्ष प्रिंस राठौर के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। भाजपा कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी और शास्त्री के चित्र पर माल्र्यापण एवं दीप प्रज्जवलित कर नमन किया।

कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए युवा भाजपा नेता प्रिंस राठौर ने कहा कि महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री हमारे प्रेरणा स्त्रोत है। अहिंसा शांति सदभाव की शिक्षा गांधीजी से मिलती है तो वहीं शास्त्रीजी से कुशल नेतृत्व और सादगी सीखने को मिलती है। कार्यक्रम में भाजपा वरिष्ठ नेता मानसिंह पवार, अशोक राठौर, वरिष्ठ नेता बृजमोहन सोनी, मांगीलाल सोलंकी, अनिल पारे, गोपाल सोनी,जिला कार्यालय मंत्री राजू सिकरवार, महामंत्री आशीष पचौरी, एडवोकेट एच. पी. चक्रधर, राजू बोयत, नगर मन्त्री आशुतोष त्यागी, राजेश परिहार, मंडल कार्यालय मन्त्री नरेंद्र राजपूत, मंडल प्रवक्ता हर्ष ताम्रकार, गुलशन जैन, कमलेश कुशवाह, दिनेश कुशवाह पप्पी, महेश पारीक,दुष्यंत दासवानी, कमल प्रजापति, नैतिक राय आदि कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।