सीहोर, अनुराग शर्मा | राजधानी भोपाल के सीहोर जिले से मात्र 15 किलोमीटर दूर दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को यह नजारा देखने को मिल रहा है। कई तो केवल इसी रहस्य को देखने गांव पहुंचे थे। लसूडिय़ा परिहार में स्थित राम मंदिर में दीपावली के दूसरे दिन सांपों की अदालत लगाई गई। इस अदालत में पिछले एक साल में लोगों को विभिन्न कारणों सांप के काटने के कारण को जानने के लिए आयोजन किया जाता है। हनुमानजी की मडिय़ा के सामने लगी सांपों की पेशी के दौरान हजारों लोग यह जानने पहुंचे थे कि आखिर उन्हें सांप ने क्यों काटा। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…
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कारण जानने के लिए कांडी की धुन पर भरनी गाकर इन्हे पेशी पर बुलाया गया। इस दौरान पेशी पर पहुंचे सांपों ने शरीर में आकर काटने का कारण बताया गया। ग्राम के मदन मोहन शास्त्री जी महाराज की माने तो यहां होने वाली सांपों की पेशी हमारी तीन पीड़ी करती आ रही है।दीपावली के दूसरे दिन प्रदेश भर से सांप के काटने से पीडि़त लोग यहां आते है व काटने का कारण जानते हैं। कारण जानने के साथ ही दोबारा एसी घटना न हो जिसके लिए सांपों से वचन भी लिया जाता है।
पिछले एक साल में सांप के काटने से पीडि़त लोग अपनी परेशानी लेकर मंदिर पहुंचते है। जहां काटे जाने का कारण जानने के लिए ढोल मंजिरों और मटकी की धुन पर कांडी व भरनी गाई जाती है। जिसके कारण पीडि़त व्यक्ति सांप की तरह लहराने लगता है। जहां पेशी पर बुलाए गए सांप काटे जाने का कारण बताते है। कांड़ी, भरनी और विशेष मंत्र के साथ दोबारा पीडि़त को न काटे इसका संकल्प लिया जाता है।
आज के वैज्ञानिक युग मे विज्ञान इस परंपरा को भले ही अंधविश्वास कह सकते है पर लोगो की आस्था और विश्वास इस परंपरा को न सिर्फ जीवित रखे हुवे है बल्कि इस परंपरा की बदौलत आज तक हजारों सर्पदश से पीड़ित यहां से स्वस्थ हो चुके है। जमाना भले ही चांद और मंगल ग्रह की बात करें पर सीहोर के ग्राम लसूडिय़ा परिहार में आज भी सर्पदंश से पीडि़त लोग स्वस्थ होने के लिए मंदिर में आते है। अब आप इनके इस विश्वास को आस्था कहे या अन्धविश्वास इससे इनको कोई फर्क नही पड़ता है और ये आस्था या अंधविश्वास की प्रथा 100 वर्षो से चली आ रही है। सीहोर के ग्राम लसूडिय़ा परिहार में सालोंं से नागों की अदालत लगती है, जहां पेशी पर नाग स्वयं मानव शरीर में आकर डसने का कारण बताते हैं।
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